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फ्लाइंग अधिकारी निर्मल जीत सिंह सेखों, पीवीसी (17 जुलाई 1 9 144 - 14 दिसंबर 1 9 71) भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी थे। 1 9 71 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पीएएफ के हवाई हमले के खिलाफ श्रीनगर एयर बेस के अपने एकमात्र बचाव की मान्यता में उन्हें मरणोपरांत परम वीर चक्र, भारत की सर्वोच्च सैन्य सजावट से सम्मानित किया गया
फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों का जन्म 17 जुलाई 1943 में लुधियाना, पंजाब के रूरका गांव में हुआ। अपने विवाह के कुछ ही महीने बाद निर्मलजीतसिंह ने खुद को देश को समर्पित कर दिया। 14 दिसंबर 1971 को जब 6 पाकिस्तानी सैबर जेट विमानों द्वारा श्रीनगर एयरफील्ड पर हमला किया गया, तब ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सुरक्षा टुकड़ी की कमान संभालते हुए 18 नेट स्क्वॉड्रन के साथ वहां तैनात थे।
दुश्मन के एफ-86 सैबर जेट विमानों का बहादुरी के साथ सामना करते हुए उन्होंने दो सैबर जेट विमानों को ध्वस्त किया। वे लगातार दुश्मन के पीछे लगे रहे और उनके छक्के छुड़ाते रहे। दूसरे सैबर जेट के ध्वस्त होने के धमाके के बाद सेखों ने अपने साथी फ्लाइट लेफ्टिनेंट घुम्मनसिंह को संदेश भेजा कि शायद मेरा विमान भी अब निशाने पर आ गया है, घुम्मन अब तुम मोर्चा संभालो...। इस संदेश को देने के बाद वे शहीद हो गए।
भारत पाकिस्तान युद्ध --
14 दिसम्बर 1971 को वायुसेना के फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों श्रीनगर में सेवारत थे। पाकिस्तानी वायुसेना के हमलों से कश्मीर घाटी की रक्षा का दायित्व सेखों और उनके साथियों के कन्धों पर था। अचानक समाचार आया कि छह पाकिस्तानी लड़ाकू सेबर विमान भारत सीमा को पार कर चुके हैं। इससे पहले कि भारतीय वायु रक्षापंक्ति सक्रिय हो पाती, पाकिस्तानी विमान सर पर आ चुके थे। किसी तरह सेखों के एक वरिष्ठ संगी अपना विमान हवाई पट्टी से उड़ा ही पाए थे कि दुश्मन के विमानों ने हवाई पट्टी पर बमबारी शुरू कर दी। सेखों ने फिर भी दुश्मन से लोहा लेने का मन बना लिया और अपने विमान को उड़ाने के प्रयास में लग गए। उनके अगल बगल गिरते बम, और क्षतिग्रस्त हवाई पट्टी एक बड़ी कठिनाई बन चुकी थी। सबको चकित करते हुए किसी प्रकार उनका नेट विमान हवा में आया।
अब सेखों के सम्मुख चुनौती का आँकलन करिये। दुश्मन के छह विमानों के सामने वे अकेले थे।
दुश्मन के विमान विख्यात सेबर (सबरे) थे जो विस्तार और हमले की क्षमता में गनत विमान से कहीं बेहतर थे। हवाई पट्टी क्षतिग्रस्त होने के कारण अतिरिक्त सहायता की अपेक्षा की नहीं जा सकती थी। परंतु अगर सेखों दुश्मन के रास्ते से हट जाते तो दुश्मन को अपनी मनमानी करने से कोई नहीं रोक सकता था।
सेखों ने वही किया जो उन्हें इतिहास में अमर बना देता। उन्होंने दुश्मन को ललकारा और बिजली की तरह उन पर टूट पड़े। दुश्मन का एक विमान अग्नि को समर्पित कर दिया, और दूसरे विमान पर ध्यान केंद्रित किया। दूसरे दुश्मन के पीछे उड़ते हुए सेखों ने उस पर निशाना साधा। पाकिस्तानी लड़ाके इस अनापेक्षित आक्रमण से अवाक थे।
शौर्य गाथा
14 दिसम्बर 1971 को श्रीनगर एयरफील्ड पर पाकिस्तान के छह सैबर जेट विमानों ने हमला किया था। सुरक्षा टुकड़ी की कमान संभालते हुए फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह वहाँ पर 18 नेट स्क्वाड्रन के साथ तैनात थे। दुश्मन F-86 सेबर जेट वेमानों के साथ आया था। उस समय निर्मलजीत के साथ फ्लाइंग लैफ्टिनेंट घुम्मन भी कमर कस कर मौजूद थे। एयरफील्ड में एकदम सवेरे काफ़ी धुँध थी। सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर चेतावनी मिली थी कि दुश्मन आक्रमण पर है। निर्मलसिंह तथा घुम्मन ने तुरंत अपने उड़ जाने का संकेत दिया और उत्तर की प्रतीक्षा में दस सेकेण्ड के बाद बिना उत्तर उड़ जाने का निर्णय लिया। ठीक 8 बजकर 4 मीनट पर दोनों वायु सेना-अधिकारी दुश्मन का सामना करने के लिए आसमान में थे। उस समय दुश्मन का पहला F-86 सेबर जेट एयर फील्ड पर गोता लगाने की तैयारी कर रहा था। एयर फील्ड से पहले घुम्मन के जहाज ने रन वे छोड़ा था। उसके बाद जैसे ही निर्मलजीत सिंह का नेट उड़ा, रन वे पर उनके ठीक पीछे एक बम आकर गिरा। घुम्मन उस समय खुद एक सेबर जेट का पीछा कर रहे थे। सेखों ने हवा में आकार दो सेबर जेट विमानों का सामना किया, इनमें से एक जहाज वही था, जिसने एयरफिल्ट पर बम गिराया था। बम गिरने के बाद एयर फील्ड से कॉम्बैट एयर पेट्रोल का सम्पर्क सेखों तथा घुम्मन से टूट गया था। सारी एयरफिल्ड धुएँ और धूल से भर गई थी, जो उस बम विस्फोट का परिणाम थी। इस सबके कारण दूर तक देख पाना कठिन था। तभी फ्लाइट कमाण्डर स्क्वाड्रन लीडर पठानिया को नजर आया कि कोई दो हवाई जहाज मुठभेड़ की तौयारी में हैं।
सम्मान
निर्मल जीत सिंह सेखों को उनकी वीरता के लिए याद किया जाता है और पंजाब के कई शहरों में उनकी प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं।
1 9 85 में निर्मित एक समुद्री टैंकर को फ्लाइंग अधिकारी निर्मल जीत सिंह सेखोन, पीवीसी नामित किया गया था।
लोकप्रिय संस्कृति में विरासत और चित्रण
निर्मल जीत सिंह सेखों की श्रद्धांजलि में एक प्रतिमा को लुधियाना जिला अदालत (प्रथम समरला चौक, लुधियाना में बना) में ध्वज पोल के बगल में आंगन में खड़ा किया गया था। एक डिप्टीशन फॉलैंड जीएनट सेनानी स्मारक का हिस्सा है और एक द्वार संरक्षक के रूप में कार्य करता है।
एक मशहूर फ़ोलैंड गनट सेनानी के साथ उनकी मूर्ति भारतीय वायु सेना संग्रहालय, पालम में रखी गई है।