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पद्म विभूषण अर्जन सिंह, भारतीय वायु सेना के मार्शल एकमात्र अधिकारी थे जिन्हें पांच सितारा स्तर पर पदोन्नत किया गया था। 16 सितंबर 2017 को 98 वर्ष की आयु में इनका निधन हुआ। ये भारतीय वायुसेना में प्रमुख पद पर १९६४-६९ तक आसीन रहे। १९६५ के भारत पाक युद्ध के समय वायु सेना की कमान को सफलतापूर्वक संभालने हेतु इन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया एवं १९६६ में एयर चीफ़ मार्शल पद पर पदोन्नत किया गया। वायु सेना से सेवानिवृत्ति उपरान्त इन्होंने भारत सरकार के राजनयिक, राजनीतिज्ञ एवं परामर्शदाता के रूप में भी कार्य किया। १९८९ से १९९० तक ये दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर रहे। २००२ में भारतीय वायु सेना के मार्शल के पद पर आसीन किया गया। ये प्रथम अवसर था कि जब भारतीय वायु सेना का कोई अधिकारी पांच सितारा स्तर पर पहुंचा हो।
1965 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ तब मार्शल अर्जन सिंह वायु सेना के प्रमुख थे। उनका जन्म 15 अप्रैल 1919 को पाकिस्तान के लायलपुर में हुआ था। उन्हें 1938 में आरएएफ क्रैनवेल में एम्पायर पायलट प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) कोर्स के लिए चुना गया था। बाद में, जब उन्हें कार्यभार सौंपा गया, तब उन्होंने नंबर 1 आईएएफ स्क्वाड्रन के सदस्य के रूप में उत्तर पश्चिमी सीमावर्ती प्रांत की सेवा की। 1944 में, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्क्वाड्रन लीडर के रूप में अर्जन सिंह ने अराकन आंदोलन में जापानियों के साथ युद्ध किया। अपनी अनुकरणीय वीरता, कौशल और कर्तव्य के प्रति जो उनका समर्पण था उसके लिए उनको डिस्टिंगुइश फ्लाइंग क्रॉस (डीएफसी) का सम्मान भी प्राप्त हुआ। 16 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद, उन्होंने आईएएफ की उड़ान का संचालन भी किया।
1949 में, एयर कमांडो के रूप में पदोन्नत होने के बाद, अर्जन सिंह ने परिचालन कमांड के वायु सेना अध्यक्ष कमांडिंग के रूप में पदभार संभाला, जिससे उन्हें पश्चिमी वायु कमांडर के रूप में जाना जाने लगा। 1 अगस्त 1964 को उन्होंने वायु सेना के प्रमुख के रूप में अपना पदभार संभाला। सितंबर 1965 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया, तो अर्जन सिंह ने भारतीय वायुसेना द्वारा अपने आक्रामक एवं प्रभावी तरीकों से पाकिस्तानी सेना के आक्रमण को पूरी तरह से विफल किया। उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था और उनके वायु सेना के प्रमुख पद मार्शल से पदोन्नत भी किया गया था। वह भारतीय वायु सेना के पहले एयर चीफ मार्शल (वायु सेना प्रमुख मार्शल) बनें। अगस्त 1969 में, वायु सेना से सेवानिवृत्ति होने पर, वह स्विटजरलैंड में भारत के राजपूत बनें।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि
96 वर्षीय अर्जन सिंह,उन कई गणमान्य व्यक्तियों में से थे, जो पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को पालम हवाई अड्डे पर श्रद्धांजलि देने आये थे ,उस समय वे व्हीलचेयर पर थे। उन्होंने मंगलवार को 28 जुलाई को पालम हवाई अड्डे पर दिवंगत डा। कलाम को अंतिम श्रद्धांजलि दी।
दायित्व
1 अगस्त 1964 से 15 जुलाई 1969 तक वह वायुसेनाध्यक्ष (सीएएस) थे, और 1965 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था । 1965 के युद्ध में वायु सेना में अपने योगदान के लिए उन्हें वायु सेनाध्यक्ष के पद से पद्दोन्नत होकर एयर चीफ मार्शल बनाया गया। वे भारतीय वायु सेना के पहले एयर चीफ मार्शल थे। उन्होंने 1969 में 50 साल की उम्र में अपनी सेवाओं से सेवानिवृत्ति ली। 1971 में (उनकी सेवानिवृत्ति के बाद) उन्हें स्विट्जरलैंड में भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया था। उन्होंने समवर्ती वेटिकन के राजदूत के रूप में भी सेवा की।
उल्लेखनीय तथ्य
o मार्शल रैंक फ़ील्ड मार्शल के बराबर होता है, जो केवल थल सेना के अफ़सरों को दिया जाता रहा था। के. एम. करियप्पा और सेम मानेकशॉ दो ऐसे थल सेना के जनरल थे, जिन्हें फ़ील्ड मार्शल बनाया गया था। अर्जन सिंह वायु सेना और ग़ैर थल सेना के ऐसे पहले अफ़सर थे, जिन्हें मार्शल का रैंक दिया गया था।
o देश जब 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ, तब अर्जन सिंह को 100 भारतीय वायु सेना के उन विमानों का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, जो दिल्ली और लाल क़िले के ऊपर से गुज़रे थे।
o 1 अगस्त, 1964 को 45 साल की उम्र में अर्जन सिंह भारतीय वायु सेना के प्रमुख बने और वे ऐसे पहले वायु सेना प्रमुख थे, जिन्होंने चीफ़ ऑफ़ एयर स्टाफ़ यानी प्रमुख रहते हुए भी वे विमान उड़ाते रहे और अपनी फ्लाइंग कैटिगरी को बरकार रखा।
o अर्जन सिंह न केवल निडर पायलट थे, बल्कि उन्हें वायु सेना की गहरी जानकारी थी। पाकिस्तान के खिलाफ 1965 में हुई लड़ाई में अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना की कमान संभाली और पाकिस्तानी वायु सेना को जीत हासिल नहीं करने दी, जबकि अमेरिकी सहयोग के कारण पाकिस्तानी वायु सेना बेहतर सुसज्जित थी।
मृत्यु
अर्जन सिंह को शनिवार सुबह सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.