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अभिनेता

कुणाल कपूर जीवनी - Biography Of Kunal Kapoor in Hindi Jivani

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आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी Kunal Kapoor का जब हिंदी फिल्मों में पदार्पण हुआ तब ऐसा लगा मानो, लंबे अर्से बाद आकर्षक व्यक्तित्व और अभिनय-प्रतिभा के समावेश वाले किसी अभिनेता का हिंदी फिल्मों में प्रवेश हो गया हो। लंबे बाल और हल्की दाढ़ी के साथ इस अभिनेता ने पारंपरिक अभिनेताओं की छवि के साथ प्रयोग किया। उनके इस रूप को दर्शकों ने खुले दिल से स्वीकार भी किया। मॉडलिंग जगत में लोकप्रिय रहे Kunal Kapoor को सबसे पहले अपनी अभिनय प्रतिभा के प्रदर्शन का मौका दिया-मशहूर चित्रकार और फिल्म निर्माता-निर्देशक मकबूल फिदा हुसैन। मकबूल फिदा हुसैन ने Kunal Kapoor को मीनाक्षी में प्रतिभाशाली अभिनेत्री तब्बू के साथ अभिनय करने का मौका दिया। पहली ही फिल्म में तब्बू जैसी मंजी हुई अभिनेत्री के साथ ने Kunal Kapoor को स्वयं को सिद्ध करने का अच्छा मौका दिया जिसका Kunal ने भरपूर फायदा उठाया। पहली ही फिल्म में Kunal Kapoor ने अपनी अभिनय प्रतिभा से समीक्षकों को भी प्रभावित किया और दर्शकों की खूब प्रशंसा बटोरी। हालांकि,मीनाक्षी बॉक्स ऑफिस पर विफल साबित हुई, पर Kunal ने अपने लुक और स्वाभाविक अभिनय के कारण कई प्रशंसक बना लिए। Kunal Kapoor के प्रशंसकों में लड़कियों की संख्या अधिक है। मीनाक्षी के बाद वे दिखें-रगं दे बसंती में। व्यवस्था से जूझते युवाओं की टोली के महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में Kunal ने दर्शकों को प्रभावित किया और अपने सुनहरे भविष्य की उम्मीदें भी बंधा ली। रंग दे बसंती के बाद आयी हैट्रिक में Kunal दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाए और उसके बाद की फिल्मों में वे सह-अभिनेता के रूप में ही दिखे।


शादी


कुणाल कपूर की शादी नैना बच्चन से हुई है। जोकि मेगास्टार अमिताभ बच्चन की भतीजी है।


निर्देशक और निर्माता


1987 में कुणाल ने अपनी ख़ुद की कंपनी, एडफ़िल्म-वालाज़, (Adfilm-Valas) शुरू की और टेलीविज़न के लिए विज्ञापनों का निर्माण और निर्देशन का काम शुरू किया। उनकी यादगार रचनाओं में से एक, उनके भाई करन द्वारा अभिनीत, बॉम्बे डाइंग की "ड्रीम लवर" ("Dream Lover") श्रृंखला थी। इसके बाद से ही उन्होंने 800 से भी ज़्यादा टेलीविज़न विज्ञापनों का निर्देशन किया है और भारत में विज्ञापन फिल्मों के बेहतर निर्देशकों में से एक माने जाते हैं। वह विशेष तौर पर बड़े पैमाने के प्रारूप, एक्शन, ग्लैमर और हास्य के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में, भारत में बनी अधिकांश सफल कार-विज्ञापनों का निर्माण और निर्देशन कुणाल द्वारा किया गया है।[कृपया उद्धरण जोड़ें]


एडफ़िल्म-वालाज़ (Adfilm-Valas) ने भारत में फिल्माई गई अनेक अंतर्राष्ट्रीय फ़ीचर फिल्मों और विज्ञापन फ़िल्मों का कार्यकारी-निर्माण भी किया है। इनमें उल्लेखनीय हैं: सिटी ऑफ़ जॉय (City of Joy) के श्रेय-अनुक्रम के दृश्य (credit sequence) और फ्रेंच फ़िल्में ले कैक्टस (Le Cactus) (2005) और फ़ायर इन पैराडाइज़ (Fire in Paradise)


कुणाल कपूर अपने पिता शशि कपूर के साथ, श्री पृथ्वीराज कपूर मेमोरियल ट्रस्ट एंड रिसर्च फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं जो जुहू, मुंबई में स्थित पृथ्वी थियेटर (जिसकी स्थापना और निर्माण शशि कपूर और उनकी पत्नी जेनिफर कपूर ने किया था) का स्वामित्व रखती है और उसका कार्यभार संभालती है। पृथ्वी थियेटर, जिसका कार्यभार अब कुणाल की छोटी बहन संजना कपूर संभालतीं हैं, का लक्ष्य पेशेवर भारतीय थियेटर को बढ़ावा देना, थियेटर के लिए नई प्रतिभाओं और दर्शकों का विकास करना और थियेटर व प्रदर्शन कलाओं के लिए एक प्रेरणादायक केंद्र बनना है।


 


करियर की मुख्य फिल्में


2004- मीनाक्षी:द टेल्स ऑफ थ्री सिटीज-कामेश्वर माथुर


2006 -रंग दे बसंती-असलम


2007- हैट्रिक-सरबजीत सिंह


2007- लागा चुनरी में दाग-विवान


2007- आजा नचले-इमरान पठान


2008- बचना ऐ हसीनों-जोगिंदर सिंह अहलूवालिया


2008 -वेलकम टू सज्जनपुर-बंसी