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नाम : शमिला रेगे
जन्म दि : 7 अक्टूबर 1964
ठिकाण : पूणे, महाराष्ट्र भारत
व्यावसाय : समाजशास्त्री, लेखक, नारीवादी
प्रारंभिक जीवनी :
शर्मिला रेगे एक भारतीय सामाजशास्त्री और नारीवादी विव्दान थी | वह रायटिंग कास्टा राइटिंग जेंडर कि लेखिका भी थी | उन्होंने पुणे विश्वाविघ्यालय मे क्रांन्तिजयोति सिवित्रीबाई फुले महिला अध्यायन केंद्र का नेतूत्वा किया है | शर्मिला रेगे का जन्म 7 अक्टूबर 1964 मे भारत के महाराष्ट्र राजया पूणे शहर मे हुआ था | उन्हेांने फर्ग्यूसन कॉलेज के सामाजशास्त्र विभाग मे अध्यायन किया है |
कार्य :
शर्मिला ने अपने छोटे जीवनकाल मे भारतीय नारीवाद पर केंद्रीत अकादमिक और एक्टिविस्ट स्थानों मे अमूल्या योगदान दिया है |दलित छात्र के अधिकारों के लिए लडने के लिए एकेउोर मे रेगे का काम, भारत मे महत्वापूर्ण शैक्षिक सूधार के लिए उनकी प्रतिबध्दता का प्रमाण है |
उन्होंने भारत मे महिला के सावाल के बारे मे उनकी चिताओं ने नए और वैकल्पिक तरीकों मे बहूत योगदान दिया था | उन्होंने इतिहासलेखन, दलितों कि आवाजो और दृष्टीकोनां के प्रति एक हिंदू राष्ट्र के अंध धब्बे को उजागर करने का कार्य किया है |
उन्हेांने आर्थिक विकास और वैश्वीकरण के अपने अंतिम प्रकाशित काम मे, मनू के पागलपन के खिलाफ ब्राम्हणवाडी पितसृता के खिलाफ अपनी वैचारिक लढाई लढी थी | और मलिाओंमे खिलाफ हिंसा को कसे वर्गीकृत किया इसके लिए महिला आंदोलन मे आंबेडकर कि भूमिका को केंद्रीकृत करने कि मांग कि थी |
उन्होंने अपने लखन से ज्ञान और सांस्कृतिक अभ्यास कि स्थानीय और मौखिक परंपराओं को नया जीवन दिया है | उन्हें अनूवाद परियोजनाओं के माध्याम से जनता के ध्यान मे लाया है | जो राष्ट्रीय स्मृति के अभिलिखागार का निर्माण करते है |
उपलब्धि :
1) शर्मिला को मद्रास संस्थान से विकास अध्यायन मे विशिष्टा योगदान के लिए सन 2006 मे मैल्कम अदिशशोशिया पूरस्कार प्राप्ता हुआ है |
पूस्तके/ग्रंथ :
1) 1996 मे प्रकाशित: जाती और लिंग भारत मे महिलाओं के खिलाफ हिंसा|
2) 2003 सोशियोलॉजी ऑफ जेंडर द चैलेंज ऑफ फोमिनिस्टा सोशियोलॉजिकल थॉट|
3) 2006 लेखन जाति, लेखन लिंग|
4) 2009 सावित्रीबाई फुले सेकेंड मेमोरियल लेक्चर|
5) 2013 मनू नवयाना के पालगलपन के खिलाफ