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नाम : राजमोहिनी देवी
जनम :
ठिकाण : ग्रोगोरी, छत्तीसगढ, भारत
व्यावसाय : समाज सेवा
प्रारंभिक जीवनी :
राजमोहीनी देवी एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ती थी | राजमोहीनी बापू धर्म सभा आदिवासी सेवा मंडल कि संस्थापक थी | राजमोमहिनी देवी का जनम भारत मे छत्तीसगढ राजय के सर्गुना जिले के एक छोटे से ग्रोगोरी नामक गांव मे हुआ था | यह बताया जाता हैकि सन 1951 के अकाल के दौरान वह महात्मा गांधी और उनके आदर्शो के बारे मे मानो एक दृष्टि थी |
कार्य :
राजमोहिनी देवी ने बापू धर्म सभा आदिवासी से मंडल कि स्थापना कि है | इस गैर सरकारी संस्थाव्दारे उन्होंने गांधीवादी और भारतीय राजया छत्तीसगड के गोंडवाना के आदिवासी लोग के कल्याण के लिए काम किया है | उन्होंने महिलाओ कि मुक्ति के लिए एक आंदोलन शुरु करने का कार्य किया था जिसे राजमोहिनी आंदोलन के नाम से जाना जाता है |
इस आंदोलन से उन्होंने अंधविश्वास का उन्मूलन और आदिवासी लोागो के बीच पीने की आदते जैसे विषयों पर भी काम किया है | इस आंदोलन ने धीरे धीरे 80|000 से अधिक लोगो के साल एक पंथ आंदोलन कि स्थिती ग्रहण कि थी |
और बाद मे इसे बापू धर्म सभा आदिवासी सेवा मंडल के नाम से एक गैर सरकारी संगठन मे बदल दिया गया था | वह संगठन छत्तीसगढ बिहार और उत्तर प्रदेश रजयों मे स्थापित कई आरमों मे माध्याम से कार्य करता है |
उपलब्धि :
पूरस्कार और सम्मान :
1) राजमोहीनी देवी को सन 1989 मे भारत सरकारव्दारा पघश्री पूरस्कार से सम्मानित किया गया था
2) राजमोहीनी के सम्मान मे एक अनूसंधान केंद्र राजमोहिनी देवी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन इंदिरा गांधी कृषि विश्वाविघ्यालय से स्थित है |
3) आंबिकापूर मे उनके नाम पर एक सरकारी गर्ल्स कॉलेज राजमोहीनी देवी पी जी गर्ल्स कॉलेज रखा गया है |
पुस्तके/ग्रंथ :
राजमोहीनी देवी का जीवन सुदाल जिंदल ने एक पुस्ताके मे लिखा है | उसे छत्तीसगढ राजया हिंदी पुस्ताके मे लिखा है | उसे छत्तीसगढ राजया हिंदी ग्रंथ अकादमी व्दारा प्रकाशित किया गया है |
1) सन 2013 सामज क्रांति कि अग्रदूत राजमेाहिनी देवी|
2) राजमोहिनी देवी का भारत के छत्तीसगढ राजया के सर्ग्रुजा जीले मे निधन हुआ|