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कुशल पाल सिंह भारत वर्तमान में ‘डीएलएफ इंडिया’ के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। भारत के सबसे अमीर रियल स्टेट डेवल पर कुशल पाल सिंह को लोग के.पी. सिंह के नाम से जानते हैं, इनको भारत के रियल एस्टेट के क्षेत्र में सबसे बड़े विकास पुरुष के रूप में जाना जाता है। इनकी कंपनी ‘डीएलएफ लिमिटेड’ भारतीय रियल एस्टेट उद्योग के क्षेत्र में आज भी अपना मजबूत पकड़ बनाए हुए है। गुड़गांव, आधुनिक टाउनशिप को वर्तमान रूप में विकसित करने का श्रेय के.पी. सिंह की कंपनी ‘डीएलएफ लिमिटेड’ को ही जाता है। इनका रियल स्टेट व्यवसाय सम्पूर्ण भारत के लगभग 20 राज्यों के 25 शहरों में फैला हुआ है। के.पी. सिंह को विश्व भर में सामान्य रास्ते से हटकर कठिन रास्ते पर चलने वाले दूरदृष्टया के रूप में भी पहचान मिली है, जिन्होंने भारत के शहरी क्षेत्रों में भूमि को विकसित कर विश्व-स्तरीय मानक के अनुसार हाउसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, गोल्फ क्लब और मॉल संस्कृति को विकसित किया। इन्होंने अपने कुशल व्यवसाय कौशल के बदौलत विश्व के विभिन्न देशों से बहुत बड़ी मात्रा में पूंजी का भारत में निवेश कराया और बहुत से लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार का अवसर भी उपलब्ध कराया। कुशाल पाल सिंह या के.पी.सिंह, भारत की सबसे बडी रियल्टी कंपनी डी. एल. एफ. लिमिटेड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी है।
कुशाल पाल सिंह का जन्म १५ अगस्त १९३१ को बुलन्दशहर के एक जाट परिवार में हुआ था। के पी सिंह ने भारत की सबसे बडी रियल्टी कंपनी की स्थापना की। डी एल एफ, आज बिक्री, राजस्व एवं पूंजी के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी रियल्टी कंपनी है।
सिंह ने मेरठ कॉलेज से विज्ञान में स्नातक उत्तीर्ण किया तथा इंग्लैंड से वैमानिकी की शिक्षा प्राप्त की। बाद में वे भारतीय थलसेना में अधिकारी चुने गये। यहाँ वे प्रसिद्ध घुड़सवारी टुकडी 'द डेक्कन होर्स' में शामिल हुये। सन १९६० में अमेरिकन इलैक्ट्रिक कंपनी के साथ जुड़े और १९७९ में डी एल एफ के साथ विलय के बाद संयुक्त कंपनी के प्रबंध निदेशक बने।
कॅरियर
के.पी. सिंह सेना की नौकरी छोड़कर अपने स्वसुर चौधरी राघवेन्द्र सिंह के रियल स्टेट के कारोबार के साथ जुड़ गए, जो ‘डीएलएफ’ के संस्थापक थे। वर्ष 1960 में इन्होंने अमेरिकन यूनिवर्सल इलेक्ट्रिक कंपनी में कार्यभार ग्रहण किया, जो यूनिवर्सल इलेक्ट्रिक कंपनी, ओवोस्सो (मिशिगन) और सिंह परिवार के बीच एक संयुक्त उद्यम था। इसके बाद इन्होंने भारत में औद्योगिक बैट्री के निर्माण के लिए फिलाडेल्फिया के ‘इएसबी इंक’ के सहयोग से ‘विलार्ड इंडिया लिमिटेड’ नाम से एक और कंपनी की स्थापना की और इसके प्रबंध निदेशक बने। वर्ष 1979 में अमेरिकन यूनिवर्सल इलेक्ट्रिक कंपनी का ‘डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड’ में विलय हो गया और के.पी. सिंह नई कंपनी के प्रबंध निदेशक बने।
डीएलएफ की स्थापना और उसका व्यवसाय
के.पी. सिंह सेना की नौकरी छोड़कर अपने स्वसुर चौधरी राघवेन्द्र सिंह के रियल स्टेट के कारोबार के साथ जुड़ गए, जो ‘डीएलएफ’ के संस्थापक थे. वर्ष 1960 में इन्होंने अमेरिकन यूनिवर्सल इलेक्ट्रिक कंपनी में कार्यभार ग्रहण किया, जो यूनिवर्सल इलेक्ट्रिक कंपनी, ओवोस्सो (मिशिगन) और सिंह परिवार के बीच एक संयुक्त उद्यम था. इसके बाद इन्होंने भारत में औद्योगिक बैट्री के निर्माण के लिए फिलाडेल्फिया के ‘इएसबी इंक’ के सहयोग से ‘विलार्ड इंडिया लिमिटेड’ नाम से एक और कंपनी की स्थापना की और इसके प्रबंध निदेशक बने. वर्ष 1979 में अमेरिकन यूनिवर्सल इलेक्ट्रिक कंपनी का ‘डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड’ में विलय हो गया और के.पी. सिंह नई कंपनी के प्रबंध निदेशक बने.
‘डीएलएफ’ के निदेशक बनने के बाद के.पी. सिंह ने अपनी महत्वाकांक्षा के अनुरूप गुडगांव (हरियाणा) के ग्रामीण क्षेत्रों की जमीन विकसित करना प्राम्भ किया. इनके मन में दिल्ली के आस-पास एक छोटा-सा शहर विकसित करने का बड़ा विचार आया और ये जमीन खरीदने लगे. इनको इस व्यवसाय में सफलता मिली. इन्हें गुडगांव के रियल स्टेट उद्योग में उज्ज्वल भविष्य दिखाई देने लगा, परिणामत: इस क्षेत्र में एक जबरदस्त उछाल आ गया. समय के साथ इनका सपना साकार रूप लेने लगा और संकल्पनाएं मूर्त रूप लेने लगीं. गुडगांव की पहचान भारत के एक अग्रणी रियल स्टेट मार्किट तथा व्यवसायिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में हुई. जिसे आज प्रायः ‘मिलेनियम सिटी’ के नाम से जाना जाता है. के.पी. सिंह का पुत्र राजीव और पिया इनके रियल स्टेट के व्यवसाय में इनके साथ लगे हुए हैं.