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व्यवसायी

किरण मजूमदार शॉ जीवनी - Biography Of Kiran Mazumdar-Shaw in Hindi Jivani

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किरण मजूमदार-शॉ एक भारतीय उद्यमी और आईआईएम-बैंगलोर की अध्यक्ष हैं, बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बायोकॉन लिमिटेड की चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हैं। 2014 में, उन्हें विज्ञान और रसायन विज्ञान की प्रगति में उत्कृष्ट योगदान के लिए ओथम गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। वह फाइनेंशियल टाइम्स की शीर्ष 50 महिलाओं की व्यवसाय सूची में हैं। 2015 तक, उन्हें फोर्ब्स द्वारा दुनिया की 85 वीं सबसे शक्तिशाली महिला के रूप में सूचीबद्ध किया गया था । 2016 में, वह "फोर्ब्स" में एक और बार सूचीबद्ध हो चुकी है दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिला के रुप में 77 वें स्थान पर है।


बायोकॉन लिमिटेड' की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ भी दुनिया की सबसे प्रभावशाली सौ महिलाओं में से एक हैं.


किरण मजूमदार का जन्म 23 मार्च 1953 को बेंगलुरू में हुआ था. उन्होंने 1968 में बेंगलुरू के 'बिशप कॉटन गर्ल्स हाई स्कूल' से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर 1973 में बंगलोर विश्वविद्यालय से जंतुविज्ञान में स्नातक की पढ़ाई की.बाद में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर से उच्च शिक्षा प्राप्त की. साल 1978 में शॉ ने बायोकॉन कंपनी की शुरुआत की. इस कंपनी ने मधुमेह, कैंसर-विज्ञान और प्रतिरोधभंजक बीमारियों पर कई शोध किए. उन्होंने औद्योगिक एंजाइमों की निर्माण कंपनी से शुरुआत की. अपने काम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने इसे विकसित कर पूरी तरह से एकीकृत जैविक दवा कंपनी बनाया. जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने और भी कई उत्कृष्ट कार्य किए. किरण मजूमदार शॉ कर्नाटक राज्य के 'विजन ग्रुप ऑन बायोटेकनॉलॉजी' की अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सलाहकार परिषद के सदस्य के तौर पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारत सरकार ने इस क्षेत्र में अग्रणी कार्यों के लिए उन्हें 1989 में पद्मश्री और 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किया.


उन्होंने 1978 में बायोकॉन की स्थापना की थी। वे जैव प्रौद्योगिकी को एक क्षेत्र के रूप में बढ़ावा देने में रुचि रखती हैं। भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सलाहकार परिषद की एक सदस्य के रूप में, उन्होंने भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास के मार्गदर्शन के एि भारत सरकार, उद्योग और शिक्षा को एक साथ लाने में एक निर्णायक भूमिका निभाई है। इस क्षेत्र में अपने कार्यों के लिए उन्हें भारत सरकार से प्रतिष्ठित पद्मश्री (1989) और पद्म भूषण (2005) समेत कई पुरस्कार मिले हैं। टाइम पत्रिका के दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में इनका नाम भी शामिल किया गया था। वे दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की फोर्ब्स की सूची और फाइनेंशियल टाइम्स के कारोबार में शीर्ष 50 महिाओं की सूची में भी शामि हैं। वर्ष 1978 में, वे आयरलैंड के कॉर्क के बायकॉनकैमिकल्स लिमिटेड से एक प्रशिक्षु प्रबंधक के रूप में जुड़ीं। उसी वर्ष बेंगलुरु में केवल 10 हजार की पूंजी से किराये के मकान के गैरेज में बायोकॉन की शुरुआत की। हालांकि शुरुआत काफी आसान नहीं रही थी। कम उम्र, महिला और नए व्यापार मॉडल के कारण उन्हें विश्वसनीयता संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कोई भी बैंक उन्हें गण नहीं देना चाहता था, इसलिए समस्या केवल धन की ही नहीं थी, बल्कि अपने नए काम पर लोगों को नियुक्त करना भी कठिन था। वे किसी भी चीज को आसानी से जाने देनेवाली नहीं रही हैं, इसीलिए उन्होंने तमाम चुनौतियों का सामना किया और सीमित परिस्थिति में बायोकॉन को नई और प्रगति की ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम किया।


अन्य भूमिकाएं


किरण मजूमदार-शॉ भारत सरकार की एक स्वायत्त निकाय इंडियन फार्माकोपिया कमीशन के प्रबंध निकाय और सामान्य निकाय की सदस्य हैं। वे स्टेम सेल बायोलॉजी एंड रिजेनरेटिव मेडिसीन के लिए बने संस्थान की सोसाइटी की संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा व्यापार मंडल और विदेश व्यापार महानिदेशालय की सदस्य के रूप में नामित किया गया है।


वे भारत सरकार के नेशनल इनोवेशन काउंसिल की एक सदस्य और बंगलौर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के प्रशासक मंडल की सदस्य हैं। वे विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान परिषद (एसईआरसी (SERC)), भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य के लिए बायो वेंचर्स की बोर्ड सदस्य और कर्नाटक में आयरिश दूतावास की मानद वाणिज्य दूत हैं।


निजी जीवन‍


उन्होंने भारत के एक बड़े प्रशंसक और स्कॉटलैंड निवासी जॉन शॉ से ब्याह रचाया, जो 1991-1998 तक मदुरा कोट्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रहे। वर्तमान समय में जॉन शॉ बायोकॉन लिमिटेड के उपाध्यक्ष हैं।


किरण मजूमदार-शॉ कला पारखी है और उनके पास चित्रों और कला से संबंधित चीजों का बहुत विशाल संग्रह है। वे एक कॉफी टेबल पुस्तक, एले एंड आर्टि, द स्टोरी ऑफ बीयर की लेखिका भी हैं।


वे एक नागरिक कार्यकर्ता के रूप में, बंगलौर शहर के विकास के लिए बंगलौर एजेंडा टास्क फोर्स (बीएटीएफ (BATF)) जैसे विभिन्न कार्यक्रमों से वे जुड़ी हुई हैं।