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जार्ज बर्नार्ड शा नोबेल पुरस्कार साहित्य विजेता, १९२५ महान नाटककार व कुशल राजनीतिज्ञ मानवतावादी व्यक्तित्व जार्ज बर्नार्ड शा का जन्म डबलिन मे 26 जुलाई 1856 को शनिवार को हुआ था। अपने माता पिता की तीन संतानो में ये अकेले पुत्र थे। इनके पिता जार्ज कारर शा को शराब की बुरी लत थी किन्तु इस बात का इनकी माँ ने इनपे असर नही होने दिया और इनके शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान दिया , इनकी शुरुआती शिक्षा मिस कैरोलिन हिल नामक महिला से प्राप्त हुई और इनकी प्रारम्भिक शिक्षा के बाद इनरी रुचि शाहित्य के क्षेत्र में बढती गई और इसीलिये इन्हे इंग्लैंड आना पड़ा जहाँ आकर इन्होने अपनी साहित्यिक रुचि को निखारा।।
राजनीतिक जीवन
इन्होने 1879 में जेटिकल सोसाइटी से अपने रो जोड़ लिया जहाँ से इनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत मानी जाती है।।
उन्होंने माने और सुपरमैन (1 9 02), पिग्मेलियन (1 9 12) और सैंट जोन (1 9 23) जैसे प्रमुख कार्यों सहित साठ नाटकों से अधिक लिखा। समकालीन व्यंग्य और ऐतिहासिक रूपक दोनों को शामिल करने वाली श्रेणी के साथ, शॉ अपनी पीढ़ी के प्रमुख नाटककार बन गए, और 1 9 25 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
डबलिन में जन्मे, शॉ 1876 में लंदन चले गए, जहां उन्होंने खुद को एक लेखक और उपन्यासकार के रूप में स्थापित करने के लिए संघर्ष किया, और स्वयं शिक्षा की कठोर प्रक्रिया शुरू की। 1880 के मध्य तक वह एक सम्मानित थियेटर और संगीत आलोचक बन गए थे। एक राजनीतिक जागृति के बाद, वह क्रमिकवादी फैबियन सोसाइटी में शामिल हो गए और इसके सबसे प्रमुख पैम्फलेटर बन गए। शॉ ने अपनी पहली सार्वजनिक सफलता, आर्मस एंड द मैन इन 1894 में कई वर्षों से नाटक लिख रहे थे। हेनरिक इबेसेन द्वारा प्रभावित, उन्होंने अंग्रेजी-नाटक नाटक में एक नया यथार्थवाद पेश करने की मांग की, अपने नाटकों का इस्तेमाल अपने राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक विचारों बीसवीं सदी की शुरुआत में नाटककार के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को महत्वपूर्ण और लोकप्रिय सफलता की एक श्रृंखला के साथ सुरक्षित किया गया जिसमें मेजर बारबरा, द डॉक्टर की दुविधा और सीज़र और क्लियोपेट्रा शामिल थे।
संक्षिप्त परिचय
जार्ज बर्नार्ड शॉ अपने माता पिता की तीन संतानों में ये अकेले पुत्र थे। इनके पिता जार्ज कारर शॉ को शराब की बुरी लत थी किन्तु इस बात का इनकी माँ ने इन पर असर नहीं होने दिया और इनके शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान दिया।
इनकी शुरुआती शिक्षा मिस कैरोलिन हिल नामक महिला से प्राप्त हुई और इनकी प्रारम्भिक शिक्षा के बाद इनरी रुचि शाहित्य के क्षेत्र में बढती गई और इसीलिये इन्हे इंग्लैंड आना पड़ा जहाँ आकर इन्होंने अपनी साहित्यिक रुचि को निखारा।
इंग्लैंड के प्रसिद्ध साहित्यकार-नाटककार जार्ज बर्नार्ड शॉ को प्रारम्भ में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी चिर-परिचित शैली में कहा है– “जीविका के लिए साहित्य को अपनाने का मुख्य कारण यह था कि लेखक को पाठक देखते नहीं हैं इसलिए उसे अच्छी पोशाक की ज़रूरत नहीं होती। व्यापारी, डाक्टर, वकील, या कलाकार बनने के लिए मुझे साफ़ कपड़े पहनने पड़ते और अपने घुटने और कोहनियों से काम लेना छोड़ना पड़ता। साहित्य ही एक ऐसा सभ्य पेशा है जिसकी अपनी कोई पोशाक नहीं है, इसीलिए मैंने इस पेशे को चुना है।” फटे जूते, छेद वाला पैजामा, घिस-घिस कर काले से हारा-भूरा हो गया ओवरकोट, बेतरतीब तराशा गया कॉलर, और बेडौल हो चुका पुराना टॉप- यही उनकी पोशाक थी।
उनके विचार कुछ इस तरह के थे कि, ‘हर पल अपने विचारों पर नजर रखना अर्थात् यह ज्ञात होना कि मन क्या सोच रहा है, ध्यान की पहली सीढ़ी है। ध्यान से जीवन में गहराई आती है। जीवन का ध्येय है सत्य की खोज ! लेकिन सत्य क्या है ? उसकी खोज क्यों करनी है ? यह जगत क्या है ? क्यों है ? इस तरह के प्रश्नों के हल ढूँढने के बजाय क्या उन्हें इस जग में रहकर जीवन को और सुंदर बनाने का ही प्रयत्न नहीं करना चाहिए, जीवन में सुन्दरता तभी आ सकती है जब मन प्रेम से ओत-प्रोत हो, कोई दुर्भावना न हो, कहीं अन्तर्विरोध न हो। जैसी सोच हो वही कर्मों में झलके और वही वाणी में, लोग किसी भी प्राणी या वस्तु के प्रति भी हिंसक न हों और यह सब स्वतः स्फूर्ति हो न कि ऊपर से ओढ़ा गया, जब फूल खिलता है तो उसके पास जाकर पंखुड़ियों को खोलना नहीं होता,
अनमोल वचन
1.ज़िन्दगी खुद को खोजने के बारे में नहीं है . ज़िन्दगी खुद को बनाने के बारे में है .
2.गलतियाँ करते हुए बीताया गया जीवन बिना कुछ किये बीताये गए जीवन की तुलना में न सिर्फ अधिक सम्मानजनक है बल्कि अधिक उपयोगी भी है .
3.इसे एक नियम बना लीजिये कभी भी किसी बच्चे को वो किताब पढ़ने को मत दीजिये जो आप खुद नहीं पढेंगे .
4.तुम चीजें देखते हो ; और कहते हो , ‘क्यों ?’ लेकिन मैं उन चीजों के सपने देखता हूँ जो कभी थीं ही नहीं ; और मैं कहता हूँ ‘क्यों नहीं ?’
5.जानवर मेरे दोस्त हैं …और मैं अपने दोस्तों को नहीं खाता .
6.विवेकी व्यक्ति खुद को दुनिया के हिसाब से ढाल लेता है : अविवेकी व्यक्ति इस कोशिश में लगा रहता है की दुनिया उसके हिसाब से ढल जाए . इसलिए सार विकास अविवेकी व्यक्ति पर निर्भर करता है .
7.जो अपना दिमाग नहीं बदल सकते वे कुछ भी नहीं बदल सकते .
8.आह , बाघ आपसे प्रेम करेगा . खाने के प्रति प्रेम से सच्चा कोई प्रेम नहीं है .
9. जो लोग कहते हैं कि इसे नहीं किया जा सकता उन्हें उन लोगों को नहीं टोकना चाहिए जो कर रहे हैं .
10.हम सेक्स के बारे में पोप से राय क्यों लें ? अगर उन्हें इसके बारे में कुछ पता होता तो वो ऐसे क्यों होते !
11.आप अपना चेहरा देखने के लिए आइना प्रयोग करते हैं ; आप अपनी आत्मा देखने के लिए कलाकृतियाँ देखते हैं .