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व्यवसायी

अजित जैन जीवनी - Biography of Ajit Jain in Hindi Jivani

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अजित का डन्म ओडिसा में 1951 में हुआ थआ। जैन ने 1972 में आइआइटी खड़गपुर से ग्रजुएशन किया और मैकेनिकल इंजिनियरिंग की डिग्री हासिल की। इके बाद 1972 से 1973 तक उन्होंने आइबीएम में बतौर सेल्समैन नोकरी की। 196 में उनकी नौकरी छूट गई। इसके बाद 1978 में वो अमेरिका चले गए और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। एमबीए के बाद उन्होंने मैककिंजी ऐंड कंपनी ज्वाइन कर ली। 1986 में उन्होंने मैककिंजी ऐंड कंपनी छोड़ उन्होंने बर्किशियर ज्वाइन कर ली।


अजित जैन ने Berkshire Hathaway को करीब 44 बिलियन (2,97,132 करोड़ रूपए ) का फायदा पहुँचाया है जिससे अजीत की व्यावसायिक सफलता का पता चलता है. वारेन बाफेट तो अजीत जैन की प्रतिभा के कायल हैं. एक बार वारेन ने अपने शेयरहोल्डर्स से कहा था – अगर मैं (Warren Buffet) , कंपनी के वाईस चेयरमैन Charile Munger और Ajit Jain डूब रहे हों और आपको किसी एक को बचाना हो तो ‘अजित जैन’ को बचाइयेगा.


खानपान में पूर्णतः शाकाहारी अजित जैन सन 1951 में उड़ीसा में जन्मे और IIT खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद सन 1973 से 1976 तक अजीत ने IBM के लिए भारत में सेल्स का काम किया. सन 1976 में जब IBM ने भारत में अपना बिज़नस बंद कर दिया तो अजीत की भी नौकरी जानी ही थी.


अपने एक सीनियर की सलाह पर सन 1978 में अजीत अमेरिका आ गये और प्रसिद्ध Harvard Business School से MBA की डिग्री हासिल की. MBA करने के बाद अजीत ने McKinsey & Co में नौकरी शुरू की. सन 1980 के आस पास अजीत पुनः भारत आये, अपने माता पिता की इच्छानुसार शादी की. अपनी पत्नी की सलाह पर अजीत पुनः अमेरिका वापस आ गये और McKinsey & Co ने भी उनको नौकरी पर रख लिया.


सन 1986 में अजीत के जीवन में एक नया मोड़ आया, जब उनके पूर्व बॉस Michael Goldberg ने उनके Berkshire Hathaway कम्पनी जॉइन करने का ऑफर दिया. Michael Goldberg सन 1982 से ही McKinsey & Co छोड़कर Berkshire Hathaway में कार्यरत थे.


Ajit Jain इनश्योरेन्स बिज़नस से अनभिज्ञ थे, पर उन्होंने Berkshire Hathaway में नौकरी करने का निर्णय लिया. अजीत को क्या पता था कि उनका यह कदम भविष्य में उन्हें सफलता और शोहरत के शीर्ष पर पंहुचा देगा.


कैरियर


जैन ने भारत में 1973 से 1976 तक IBM के लिए काम किया, उसके बाद उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से 1978 में MBA किया। फिर वे मैकिन्से एंड कंपनी से जुड़ गए, लेकिन 1980 के दशक के प्रारंभ में भारत लौट आए। लगभग एक महीने के प्रेम संबन्ध के बाद, उन्होंने अपने माता-पिता द्वारा तय की गयी लड़की से शादी की। उसके बाद वे फिर मैकिन्से के लिए काम करने संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए।


बफेट के करीबी


स्टैमफोर्ड में काम कर रहे जैन बफेट के घनिष्ठ संपर्क में रहें हैं।


बर्कशायर में बफेट ने शेयरधारकों को कंपनी के रिपोर्टों के साथ भेजे पत्र में अक्सर जैन की तारीफ की हैं।


    2002 में उन्होंने लिखा "अजित 1986 में जब से हमारे साथ जुड़े, तब से उनके द्वारा तैयार की गई लगभग हर एक नीति का ब्यौरा मैंने देखा है।.. भले ही घाटा पूरी तरह समाप्त नहीं तो नहीं हुआ; लेकिन उनके असाधारण अनुशासन ने मूर्खतापूर्ण नुकसान को जरुर रोका. और सफलता यही मूलमंत्र है कि तेज तर्रार निर्णय लेनें के बजाए मुख्य रूप से बेवकूफाना फैसले से बचने पर ही बीमा कंपनियां लम्बी अवधि के बेहतरीन नतीजे दे सकती हैं, यह कुछ-कुछ निवेश जैसा मामला है।"


    2003 में उन्होंने लिखा : "बर्कशायर में उनकी अहमियत की अतिरंजना असंभव है।"


    2004 में वे लिखते हैं : "बर्कशायर में अजित का बहुत बड़ा महत्व है।"


    2005 में : बफेट ने उन्हें "एक असाधारण प्रबंधक" बताया।


    2008 में: "1986 में अजित बर्कशायर आये. बहुत जल्द ही मुझे महसूस हुआ कि हमने एक असाधारण प्रतिभा को प्राप्त कर लिया हैं। सो मैंने स्वाभाविक रूप से नई दिल्ली में उसके माता पिता को लिखा कर पूछा कि उनके घर में उस जैसा और भी कोई हो तो उसे भेजें.