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पाब्लो पिकासो (1881-1973) स्पेन के महान चित्रकार थे। वे बीसवीं शताब्दी के सबसे अधिक चर्चित, विवादास्पद और समृद्ध कलाकार थे। उन्होंने तीक्ष्ण रेखाओं का प्रयोग करके घनवाद को जन्म दिया। पिकासो की कलाकृतियां मानव वेदना का जीवित दस्तावेज हैं।
पाब्लो पिकासो का जन्म 25 अक्टूबर 1881 को स्पेन के मलागा नामक शहर में हुआ था | बचपन से वो अपने साथियो को अलग अलग प्रकार की आकृतिया बनाकर अचरज में डाल देते थे | पिकासो के पिता कला के अध्यापक थे , इसलिए कला की प्रारम्भिक शिक्षा उन्हें अपने पिता से मिली थी | लेकिन 14-15 वर्ष की आयु में वो इतने उत्कृष्ट चित्र बनाने लगे थे कि उनके पिता ने चित्रकारी का अपना सारा सामान उन्हें देकर भविष्य में कभी कुची ना उठाने का संकल्प ले लिया |
वर्ष 1900 में कुछ समय के लिए वह पेरिस गए। पेरिस तब कला का केंद्र समझा जाता था। पेरिस में पिकासो अनेक समकालीन कलाकारों के संपर्क में आए। उनकी कला पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। फिर स्पेन लौटकर उन्होंने उन्मुक्त होकर चित्र बनाने शुरू किए। उनके उस काल के चित्रों में गहरे नीले रंग और गुलाब के फूलों की बहुतायत है। इनमें से अधिकांश की कथावस्तु पददलित मानवता और समाज से उपेक्षित एवं शोषित वर्गों से संबंधित है।
चित्रकारी में उच्च शिक्षा के लिए पिकासो को मेड्रिड अकादमी में भेजा गया लेकिन Pablo Picasso पिकासो वहा के वातावरण से जल्दी उब गये और उन्होंने पढाई छोड़ दी | सन 1900 में कुछ समय के लिए वो पेरिस गये | पेरिस तब कला का केंद्र समझा जाता था | पेरिस में पिकासो अनेक समकालीन कलाकारों के सम्पर्क में आये | उनकी कला पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा | फिर स्पेन लौटकर उन्होंने उन्मुक्त होकर चित्र बनाने शुरू कर दिए |
उनके उस काल में चित्रों में नीले रंग और गुलाब के फूलो की बहुतायत है | इनमे से अधिकांश की कथावस्तु पद दलित मानवता और समाज से उपेक्षित एवं शोषित वर्गो से संबधित है | सन 1904 में उनकी कला में दूसरा मोड आया | इस काल में उन्होंने कलाबाजो , मसखरो ,सितार्वदो के चित्र बनाये | सन 1906 में उन्होंने अपनी सुप्रसिद्ध कलाकृति “एविनगन की महिलाये ” बनानी शुरू की | उन्होंने उस चित्र को लगभग एक वर्ष में पूरा किया |
वर्ष 1900 में कुछ समय के लिए वह पेरिस गए। पेरिस तब कला का केंद्र समझा जाता था। पेरिस में पिकासो अनेक समकालीन कलाकारों के संपर्क में आए। उनकी कला पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। फिर स्पेन लौटकर उन्होंने उन्मुक्त होकर चित्र बनाने शुरू किए। उनके उस काल के चित्रों में गहरे नीले रंग और गुलाब के फूलों की बहुतायत है। इनमें से अधिकांश की कथावस्तु पददलित मानवता और समाज से उपेक्षित एवं शोषित वर्गों से संबंधित है।
वर्ष 1904 में उनकी कला में दूसरा मोड़ आया। इस काल में उन्होंने कलाबाजों, भांडों, मसखरों, सितारवादकों के चित्र बनाए। वर्ष 1906 में उन्होंने अपनी सुप्रसिद्ध कलाकृति ‘एविगनन की महिलाएं’ बनानी शुरू की। उन्होंने इस चित्र को लगभग एक वर्ष में पूरा किया।
वर्ष 1909 में पिकासो ने कला के क्षेत्र में ‘घनवाद’ का प्रवर्तन किया। उनकी यह शैली 60-65 वर्षों तक आलोचना का विषय रही है और विश्व के सभी देशों में इसने युवा कलाकारों को प्रभावित किया। इन चित्रों में हर तरह के रंगों और रेखाओं का प्रयोग हुआ है। लगभग इसी समय उन्होंने इंग्रेस की कलाकृतियों में रुचि ली और महिलाओं के अनेक चित्र बनाए। इन चित्रों की तुलना प्राचीन यूनानी मूर्तियों से की जाती है। पिकासो किसी रूप में अत्याचार और अन्याय को स्वीकार नहीं कर सकते थे। 1957 में जब नाजी बमवर्षकों ने स्पेन की रिपब्लिकन फौजों पर बमबारी की, तो उन्होंने नाजी हमलावरों के विरुद्ध अपना रोष जताने के लिए दिन-रात मेहनत कर विशालकाय चित्र ‘गुएर्निका’ बनाया। इसके बाद उन्होंने स्वेच्छा से देश निकाला स्वीकार किया। उन्होंने कसम खाई कि जब तक स्पेन में फिर से रिपब्लिक की स्थापना नहीं हो जाती, वह स्पेन नहीं लौटेंगे।
रोमांटिक पिकासो
1940 और 1950 के दशक में पिकासो के साथ रही और उनके बच्चों की मां फ्रेंग्सवाज जीलो ने 1964 में 'लाइफ़ विद पिकासो' लिखी थी.
पिकासो के साथ संबंध को जीलो ने प्रेम के साथ अपने करियर में बड़े बदलाव के रूप में देखा. पिकासो के लिए एक तरह से उन्होंने आर्ट क्रिटिक का काम किया.
जीलो लिखती हैं, "मुझे लगने लगा था कि अगर मैं करीब से देखूं तो पाऊंगी कि उनकी आधा दर्जन पूर्व पत्नियों के सिर फंदे से लटके मिलेंगे."
उनकी प्रेमिका मैरी वॉल्टर और उनकी दूसरी पत्नी जैक़लीन रॉक दोनों ने आत्महत्या की थी.
लेकिन सभी का हश्र ऐसा नहीं रहा. एक और महिला जो कई महीनों तक पिकासो के प्रेमजाल में फंसी रही लेकिन सकुशल रही. उसका नाम था सिलवेट डिवेड.
पिकासो की पेंटिंग ने बनाया विश्व रिकार्ड
महान चित्रकार पाब्लो पिकासो की वर्ष 1955 में बनाई गयी ऑयल पेंटिंग ने नया विश्व रिकार्ड बनाया है. लगभग 18 करोड़ डॉलर के साथ यह दुनिया की सबसे महंगी बिकने वाली पेंटिंग बन गयी है.
फाइन आर्ट ऑक्शन हाउस क्रिस्टीज ने पिकासो की 'वुमेन ऑफ अल्जीयर्स' पेंटिंग की बोली की रकम के लिए 14 करोड़ डॉलर का पूर्वानुमान लगाया था लेकिन इसके लिए आखिरी नीलामी लगभग 18 करोड़ डॉलर की लगायी गयी. नीलामी की यह प्रक्रिया 11 मिनट तक चली और इसमें 35 देशों के लोगों ने बोली लगायी. इस पेंटिंग को खरीदने वाले व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकी है.
इससे पहले एक ब्रिटिश चित्रकार फ्रांसिस बैकन की कृति 'थ्री स्टडीज ऑफ ल्युसियन फ्रॉयड' ने नीलामी में विश्व रिकॉर्ड बनाया था. नवंबर 2013 में यह पेंटिंग करीब 14.2 करोड़ डॉलर में बिकी थी.
एक खास शैली की इस रंगीन पेंटिंग में हरम का एक दृश्य है. इस पेंटिंग को पिकासो ने 1955 में बनाया था जो उनकी 15 पेंटिंगों की एक श्रृंखला का हिस्सा है. नीलामी के बारे में क्रिस्टीज ग्लोबल के अध्यक्ष जुस्सी पिलकानेन ने कहा, "यह देखकर खुशी हो रही है कि इस पेंटिंग के लिए इतनी ज्यादा बोली लगायी गयी."