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वैज्ञानिक

मार्को पोलो जीवनी - Biography of Marco Polo in Hindi Jivani

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        मार्को पोलो एक इतालवी व्यापारी, खोजकर्ता और राजदूत था। उसका जन्म वेनिस गणराज्य में मध्य युग के अंत में हुआ था। अपने पिता, निकोलस पोलो (Niccolò) और अपने चाचा, मातेयो (Matteo), के साथ वह रेशम मार्ग की यात्रा करने वाले सर्वप्रथम यूरोपियनों में से एक था। उसने अपनी यात्रा १२७२ में लाइआसुस बंदरगाह (आर्मेनिया) से प्रारंभ की थी। उनकी चीन समेत, पूर्व की यात्रा का विस्तृत प्रतिवेदन ही लंबे समय तक पश्चिम में एशिया के बारे में जानकारी देने वाला स्रोत रहा है। उनका यात्रा मार्ग इस प्रकार था: आर्मेनिया से होते हुए वे तुर्की के उत्तर में गए।


Marco Polo मार्को पोलो के पिता निकोलो और चाचा मफेयो कुछ अलग करना चाहते थे | वो सिल्क रूट से सफर कर चीन पहुचना चाहते थे और सीधे वही से रेशमी वस्त्र लाना चाहते थे | उन्हें ऐसा लगता था कि ऐसा करने से वो मालामाल हो सकते है | इस यात्रा की तैयारी करने में उन्हें नौ साल लग गये थे | इस दौरान मार्को पोलो के बबचपन के जीवन के बारे में कोई जानकारी मौजूद नही है | ऐसा माना जाता है कि मार्को पोलो की माँ का बचपन में ही देहांत हो गया था और उसके चाचा-चाची ने उसे पाला था | 1269 में निकोलो और मफेयो जब सफर से लौटे थे तब उन्होंने मार्को को पहली बार देखा था | इससे पता चलता है कि 15 वर्ष की उम्र से मार्को पोलो के इतिहास को देखा जा सकत है |


17 वर्ष की उम्र में Marco Polo मार्को पोलो अपने पिता और चाचा के साथ चीन की यात्रा पर रवाना हुए थे | चीन पहुचने पे उनकी मुलाक़ात मंगोल शाशक कुबलाई खान से हुयी थी | उन्होंने उसे कहा था कि कुछ दिनों बाद वो वापस स्वदेश लौट जायेंगे | कुबलई खान का आतंक चीन में चारो तरफ फैला हुआ था | Marco Polo मार्को पोलो को चीन पहुचने में तीन साल का वक़्त लगा था | रास्ते में उसने दिलचस्प शहरों और स्थानों को देखा था जिसमे येरुशलम , हिन्दुकुश के पर्वत ,गोबी रेगिस्तान शामिल था | अपनी इस यात्रा में मार्को पोलो की मुलाकात भिन्न भिन्न प्रकार के लोगो से हुयी थी |


यात्रा का प्रारम्भ :


मार्को पोलो की यात्रा का प्रारंभ 1271 में सत्रह वर्ष की उम्र में हुआ। वेनिस से शुरू हुई अपनी यात्रा में वह कुस्तुनतुनिया से वोल्गा तट, वहाँ से सीरिया, फ़ारस, कराकोरम, और फिर कराकोरम से उत्तर की ओर बुखारा से होते हुए मध्य एशिया में स्टेपी के मैदानों से गुज़रकर पीकिंग पहुँचा। इस पूरी यात्रा में मार्को पोलो को साढ़े तीन वर्ष का समय लगा। इस अवधि में मार्को पोलो ने मंगोल भाषा भी सीख ली थी। पीकिंग में उसकी नियुक्ति मंगोल साम्राज्य की सिविल सेवा में हुई। यहाँ मार्को पोलो ने पंद्रह वर्ष तक रहते हुए खाकान की निष्ठापूर्वक सेवा की और फिर 1295 में वापस वेनिस लौट गया। वापस लौटने के बाद वह लोगों के नजरों में एक लोकप्रिय कथाकार बन गया। लोग उसके यात्रा वृत्तांतों को सुनने के लिए उसके पास जमा रहते थे।


भारत यात्रा :


मार्को पोलो ने भारत में भी कई स्थानों की यात्रा की थी। उसने केरल के 'कायल' नामक प्राचीन नगर और बन्दरगाह का भी उल्लेख किया है। मार्को पोलो यहाँ के निवासियों की समृद्धि देखकर चकित रह गया था। वह अपने यात्रा विवरण में लिखता है - "जिस राजा का यह नगर है, उसके पास विशाल कोषागार है और वह खुद कीमती जवाहरात धारण किये रहता है। वह बहुत ठाट-बाट से रहता है और अपने राज्य पर युक्तियुक्त ढंग से शासन करता है और विदेशियों और व्यापारियों के प्रति पक्षपात बरतता है, ताकि वे इस शहर में आकर प्रसन्न हों। इस शहर में सभी जहाज़ आते हैं, पश्चिम से, हारमोस से, किश से, अदन से और सभी अरब देशों से उन पर घोड़े और बिक्री की अन्य चीज़ें लदी रहती हैं। व्यापारिक बन्दरगाह होने के कारण यहाँ आस-पास के क्षेत्रों में बड़ी भीड़ होती है और इस शहर में बड़े-बड़े व्यापार का आदान-प्रदान होता है।"


रोचक तथ्य :


1. मार्को पोलो का जन्म इटली के वेनिस शहर में सन् 1254 मे हुआ था. मार्को पोलो के पिता एक धनी व्यापारी थे. उन दिनों सिल्क रूट की काफी चर्चा थी.


2. वह कारोबारी मार्ग पूर्वी यूरोप से लेकर उत्तरी चीन तक फ़ैल हुआ था. इसके बीच में कई नगर और कारोबारी केंद्र थे. इस मार्ग को सिल्क रूट इसलिए कहा जाता था क्योंकि इसी मार्ग के जरिये चीन रेशमी कपड़ो का निर्यात करता था. अभी तक किसी जहाजी ने इस पुरे मार्ग की यात्रा नही की थी.


3. Marco Polo के पिता निकोलो और चाचा मफेयो कुछ अलग करना चाहते थे. वो सिल्क रूट से सफर कर चीन पहुंचना चाहते थे और सीधे वहीं से रेशमी वस्त्र लाना चाहते थे.


4. उन्हें ऐसा लगता था कि ऐसा करने से वो मालामाल हो सकते हैं. इस यात्रा की तैयारी करने में उन्हें नौ साल लग गये थे. इस दौरान मार्को पोलो के बचपन के जीवन के बारे में कोई जानकारी मौजूद नही है.


5. ऐसा माना जाता है कि मार्को पोलो की माँ का बचपन में ही देहांत हो गया था और उसके चाचा-चाची ने उसे पाला था.


6. सन् 1269 में निकोलो और मफेयो जब सफर से लौटे थे तब उन्होंने मार्को को पहली बार देखा था. इससे पता चलता है कि 15 साल की उम्र से Marco Polo के इतिहास को देखा जा सकत है.


7. 17 साल की उम्र में मार्को पोलो अपने पिता और चाचा के साथ चीन की यात्रा पर रवाना हुए थे. चीन पहुंचने के बाद उनकी मुलाक़ात मंगोल शाशक कुबलाई खान से हुयी थी.