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नाम : लीला दुबे
जनम : 27 मार्च 1923
पति : श्यामा चरण दुबे
व्यावसाय : मानवविज्ञानी
प्रारंभिक जीवन :
लीला दुबे एक प्रसिध्दा मानवविज्ञानी और नाशिवादी विव्दान थी | 27 मार्च 1923 को उनका जनम हुआ था | उनके पती का नाम श्यामाचरण दुबे था | वह भी प्रख्यात मानवविज्ञानी थे | समाजशास्त्री श्यामा चरण दुबे और लीला दुबे दो बेटे थे | उनका नाम मुकूल दुबे और सौरव दूबे यह है | लीला दुबे दिवंगत शास्त्रीय गायिका सूमति मुटाटकर की छोटी बहन थी |
लीला दुबे का अकादमिक कैरियर वास्तव मे 1960 मे मध्याप्रदेश के सागर विश्वाविदयालय मे शुरु हुवा | उन्होंने 1974 मे महिलाओ की स्थीति पर भारत सरकार समिती की दुवउ्रस इक्वालिटी को आकार देने मे महत्वापूर्ण भूमिका निभाई थी | जिसकी चर्चा भारत की संसद मे महिलाओं के अध्यायन मे हुई | युजीसी और आयसीएसएसआर के माध्याम से भारतीय अकादमियों मे केंद्र चरण थी | सन 1970 के दशक मे लीला दुबे इंडीयन सोशियोलॉजिकल सोसायटी मे एक महत्वापूर्ण व्याक्ती मानी जाती थी |
महिलाओं के अध्यायन की चिंताओं को मुख्याधारा के समाजशास्त्रा मे पेश करने के लिए जिम्मेदार थी वह इंस्टीटयूट ऑफ रुरल मैनेजमेंट आनंद मे अग्रणी थी | लगभग 1980 मे उन्होंने काम करना शुरु किया था | तत्कालीन नवजात शौक्षिक संगठन मे उनके एक अध्यायन ने इसे आंतरराष्ट्रीय पर रखा गया था | उन्होंने रुरल एनवायरनमेंट का कोर्स किया | जिसका उपयोग ग्राम सामाज के लिए व्यावसाय प्रबंधन तकनीक कार्यक्रमों के डिजारन के लीया किया गया | जिसका समावेश पाठयाक्रम के रुप मे किया गया |
कार्य :
लीलीजी ने 1984 के वर्ल्ड सोशियोलॉजिकल कॉग्रेस मे महिला कार्यकर्ताओ औंर महिला अध्यायन विव्दानों ने अनुसंधान समिति आरसी 32 के माध्याम से एक प्रमुख भूमिका निभाई 1982:1986 मे आर्थिक और राजनितीक साप्ताहिक मे सेक्सा चयनात्म्क गर्भपात पर एक बहस थी तो उस समय उनका योगदान उल्लेखनीय था | वह हमेशा से महिलाओं के खिलाफ बढती हींसा के विरुध्दा रही इतनाही नही उनकी हर कथित भविष्यावाणी सही साबित हुई |
लीला दुबे के कारणवर्ष की आरसाी 32 को विश्वा सामाजशास्त्रीय काँग्रेस मे संस्थागत किया गया | दुबे जी भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंस्थान परिषद और नेहरु मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय से जुडी थी |
उपलब्धी :
पूरस्कार :
1) 2009 मे उन्हें 2005 के लिए युजीसी का स्वामी प्रणवानंद सरस्वाती पूरस्कार दिया गया
3) 2007 मे उन्हें इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसायटी का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला
पुस्ताक / लेख :
1) लीला दुबे की एन्थोपोलॉजिकल एक्सप्लोरेशन इन जेंडर इन्टरसेक्टिंग फांल्ड्रस सन 2001 मे सेन व्दारा प्रकाशित की गयी थी | इसका भारत मे नारीवादी नृविज्ञान मे एक महत्वापूर्ण योगदान है |
2) सन 2009 मे छपी मानवशस्त्रातील लिंगभावाची शोधमोहिम यह किताब अंग्रेजी का अनुवाद मराठी मे इस पुस्ताक व्दारा किया गया था |
3) दृश्याता और शक्ति महिलाओं और समाज पर अनेक पुस्ताक लिला दुबे व्दारा निर्मित है | लीला दुबे एलेनोर लीकॉक और शर्ली अर्दनेर व्दारा सहसंपादित और 1986 मे ऑक्साफोर्ड युनिवर्सिटी प्रेस व्दारा प्रकाशित भारत, ईरान के संदर्भो मे महिलाओं के नृविज्ञान के लिए एक आंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्या प्रदान करता है | लीला दुबे ने अपनी अंतिम इच्छानुरुप मृत्यू पश्चात अपनी ऑखे दान कर दी थी |