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राजनेता

ई० एम० एस० नंबूदरीपाद जीवनी - Biography Of E. M. S. Namboodiripad in Hindi Jivani

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इलमकुलम मनक्कल शंकरन नंबूदरीपाद भारत के प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे। केरल का प्रथम मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य इन्हें मिला था। ई. एम. एस. नंबूदरीपाद एक समाजवादी मार्क्सवादी विचारक, क्रांतिकारी, लेखक, इतिहासकार और सामाजिक टीकाकार के रूप में भी प्रसिद्ध थे। वे भारत में पहली गैर 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के मुख्यमंत्री के रूप में पहली लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित कम्युनिस्ट सरकार के नेता बने थे।


ईएमएस नम्बूदिरीपाद जन्म आज के मल्लापुरम ज़िले में पेरिंथलामन्ना तालुक के एलमकुलम गाँव में हुआ था। उनके पिता परमेश्वरन बड़े जमींदार थे। युवावस्था में नम्बूदिरीपाद जाति प्रथा के ख़िलाफ़ चलने वाले सुधार आन्दोलन की तरफ आकर्षित हुए। प्रगतिशील नम्बूदिरी ने युवक संगठन 'वाल्लुवानाडु योगक्षेम सभा' के पदाधिकारी के रूप में जम कर काम किया। जिस काल में अधिकांश कम्युनिस्ट सिद्धान्तकार भारतीय इतिहास को किताबी मार्क्सवादी खाँचे (आदिम साम्यवाद-दास प्रथा-सामंतवाद-पूँजीवाद) में फ़िट करके देखने की कोशिश कर रहे थे, नम्बूदिरीपाद ने अनूठी मौलिकता का प्रदर्शन करते हुए केरल की सामाजिक संरचना का विश्लेषण ‘जाति-जनमी-नेदुवाझी मेधावितम’ के रूप में किया। अपनी पहली उल्लेखनीय रचना 'केरला : मलयालीकालुडे मातृभूमि' (1948) में ईएमएस ने दिखाया कि सामाजिक संबंधों पर ऊँची जातियाँ हावी हैं, उत्पादन संबंध जनमा यानी ज़मींदारों के हाथों में हैं और प्रशासन की बागडोर नेदुवाझियों यानी स्थानीय प्रभुओं के कब्ज़े में है। ईएमएस की निगाह में अधिकांश जनता की ग़रीबी और पिछड़ेपन का कारण यही समीकरण था। अपने इसी विश्लेषण को आधार बना कर नम्बूदिरीपाद ने 1952 में 'द नैशनल क्वेश्चन इन केरला', 1967 में 'केरला : यस्टरडे, टुडे ऐंड टुमारो' और 1984 में 'केरला सोसाइटी ऐंड पॉलिटिक्स : अ हिस्टोरिकल सर्वे' की रचना की। अपने इसी विश्लेषण के आधार पर ईएमएस ने केरल में 'जाति-जनमी-नेदुवाझी मेधावितम' का गठजोड़ तोड़ने के लिए वामपंथ का एजेंडा भी तैयार किया, जिसके केंद्र में समाज सुधार और जाति-विरोधी आंदोलन था। ईएमएस ने ज़ोर दे कर कहा कि जातिगत शोषण ने केरल की नम्बूदिरी जैसी शीर्ष ब्राह्मण जाति तक का अमानवीकरण कर दिया है।


कांग्रेस कमेटी के सचिव


जिस समय नंबूदरीपाद बी. ए. में थे, तब वे 1932 में 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' से जुड़ गए। उन्हें गिरफ्तार कर तीन वर्ष की सज़ा सुनाई गयी, किन्तु उन्हें 1933 में रिहा कर दिया गया। सन 1937 में ई. एम. एस. नंबूदरीपाद कांग्रेस के टिकट पर मद्रास विधान परिषद में चुने गये। वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव भी बनाये गये थे। सन 1940 में नंबूदरीपाद भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य चयनित हुए। वे कुछ वर्षों तक पार्टी के पोलितब्यूरो के सदस्य रहे।


ems namboodiripad books, योगदान


Namboodiripad ने अपना जीवन communist आंदोलन को मजबूत करने में गुजार दिया। उन्होंने लगभग 70 साल देश और समाज की सेवा में बिताये। वह एक विख्यात मार्क्सवादी तथा लेनिनवादी थे। Namboodiripad ने इन सिद्धांतों का उपयोग देश और समाज सेवा में किया। भूमि संबंधों, समाज, राजनीति, केरल, इतिहास और मार्क्सवाद दर्शन के संबंध में उनका साहित्यिक कार्य भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


रोचक जानकारियां


1909: केरल के मलप्पुरम जिले में जन्म हुआ।


1931: स्वतंत्रता संघर्ष में भाग लिया।


1934: कांग्रेस समाजवादी पार्टी के अखिल भारतीय ज्वाइंट सेक्रेटरी बने।


1936: केरल में Communist Party of India (CPI) के संस्थापक समूह की स्थापना की।


1939: मद्रास प्रांतीय विधानसभा के लिए चुने गए।


1941: भारतीय communist पार्टी की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए।


1950: Communist Party of India (CPI) के पोलिट ब्यूरो के सदस्य बने।


1957: केरल के Namboodiripad पहले मुख्यमंत्री बने।


1962: यूनाइटेड सीपीआई के महासचिव बने।


1967: दोबारा केरल के मुख्यमंत्री बने।


1977: Communist Party of India (CPI) की केंद्रीय समिति के महासचिव चुने गए।


1998: केरल के तिरुअनंतपुरम में मृत्यु हो गई