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नाम : बिट्टियानदा कुटप्पा थेलामा
जन्म दि : 13 मार्च 1955
व्यावसाय : प्रोफेसर
प्रारंभिक जीवनी :
बी के थेलामा का जन्म 13 मार्च 1955 मे हुआ था | येला ने 1973 और 1975 मे क्रमश बेंगलोंर विश्वाविदयालय से जुलॉजी मे बीएससी और एमएससी पूरी की थी | उन्होने 1982 मे दिल्ली विश्वाविदयालय से बायोमेडिकल रिसर्च मे पीएचडी की थी | थेल्मा के पस प्रोफेसर हंस जैकब मुलर के साथ चिल्ड्रन हॉस्पीटल, स्वित्जरलैंड मे हयूमन जेनेटिकसा लेबोरेटरी मे पोस्टा डॉक्टरेल फेलो के रुप मे एक छोटा कार्यकाल था |
कार्य :
बी के थेलामा दिल्ली विश्वाविदयालय साऊथ कैपस नई दिल्ली भारत मे जेनिेटिक्सा विभाग मे प्रोफेसर है | वह सरकार व्दारा वित्ता पोषित जीनोम विभाग और भविष्यानिष्ठा चिकित्सा पर उत्कृष्टता केंद्र के प्रधान अन्वेषक और समन्वयक है | वह दिल्ली राजया मे चायपचाय की जन्मजात त्रुटियेां के लिए नवजात स्क्रीनिंग की व्यवहार्यता प्रदर्शित करना और आनुवंशिक रुप से विशिष्टा भारतीय मे परिक्षण योग्या IEM के लिए महामारी संबंधी डेटा उत्पन्ना करना है |
पहली बार जनसंख्या डिस्कवरी जीनोमिक्सा उसके शोध का प्रमुख् जोर है | उसकी सबसे हाल की सगाई आयुर्गोनोमिक्सा के क्षेत्र मे है | जिसमें व्याक्तियों को रोग जीन मैपिंग के लिए इस्तेमाल किए जानेवाले सजातीय केस नियंत्रण सहकर्मो केा प्राप्ता करने के लिए आयुर्वेद के सिध्दांतों के आधार पर गहरी फैनोटाइप किया जा सकता है | इस दृष्टिकोण से क्लिनिकल फोटोटाइपिक विषमता के मुद्रदो को दूर करने की उम्मीद की जाती है | जो समकालीन जटिल लक्षण आनुवंशिकी अनुसंधान मे एक प्रमुख सीमा है |
वह दिल्ली विश्वाविदयालय के जूलॉजी विभाग मे सीएसआईआर पूल अधिकारी और अनुसंधान सहयोगी थी | 1987 मे उन्होंने दिल्ली साउथ कैंपस के जेनेटिक्सा विभाग मे व्याख्याता के रुप मे शुरुआत की थी | वह विदेशों मे प्रतिष्ठित संस्थानों मे विजिटींग साइंटिस्टा भी रही है|| प्रकाशनों पर 19 दिसंबर 2019 तक काम किया है | थेल्मा ने बडे पैमाने पर हयूमन जेनेटिक्सा और मेडिकल जीनोमिक्सा पर काम किया है | विशेषज्ञता और रुचि के उनके क्षेत्रो मे शामिल है |
1) मनूष्यों मे जटिल विकारों के आणविक आनुवंशिक विश्लेषण सिजोफ्रेनिया, पार्किसस रोग, समेटीइड गाठिया, सुजन आंत्र विकार|
2) आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले एंटीसाइकोटिक, एंटी पार्किसोनियन एंटी रुमेटाइड दवाओं के फार्माकोजेनेटीक्सा|
3) एक्सा लिंक्डा मानसिक मंदता और पार्किसंस रोग के लिए नए जीन की पहचान|
4) रोगो के लिए निहितार्थ के साथ जीनोम हस्ताक्षर खोलना|
5) कार्यात्माक जीनोमिक्सा जीनोटाइप फेनोटाइप सहसंबंध|
6) नैदानिक अनुवंशिकी|
पूरस्कार और सम्मान :
1) हयूमन जर्मलाइन जीनोम एडिटिंग वाशिग्टन डी सी यू एस ए 2019 के नैदानिक उपयोग पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग के सदस्या|
2) संघवी लाल होरा पदक, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी 2014|
3) स्त्री शक्ति विज्ञान सम्मान 2012|
4) जेसी बोस फेलो विज्ञान और प्रौघोगिकी विभाग, भारत 2011|
5) भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी भारत, दिल्ली 2009 के फेलो|