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आनंद मोहन चक्रवर्ती की जीवनी - Biography of Ananda Mohan Chakrabarty in hindi jivani

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नाम : आनंद मोहन चक्रवर्ती 

जन्म दि : 4 अप्रैल 1938 

ठिकाण : सैंबिया, पश्चिम बंगाल

व्यावसाय : जीवविज्ञानी


प्रारंभिक जिवनी :


        आनंद चक्रवर्ती का जन्म 4 अप्रैल 1938 को सैथिया मे हुआ था | उन्होंने सैंथिया हाई स्कूल, रामकृष्णा मिशन विदयामंदिर और सेंट जेवियर्स कॉलेज, कलकत्ता मे पढाई की | प्रोफेसर चक्रवर्ती ने अपनी पी एच डी. 1965 मे कोलकत्ता, पश्चिम बंगाल मे कलकत्ता विश्वाविदयालय से कि |


        चक्रवर्ती वर्तमान मे शिकागो कॉलेज ऑफ मेडिसिन मे इलिनोइस विश्वाविदयालय मे माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी विभाग मे एक प्रतिष्ठित विश्वाविदयालय के प्रोफेसर है | प्रख्यात वैज्ञानिक होने के अलावा, आनंद चक्रवर्ती न्यायाधीशों सरकारों और संयुक्त राष्ट्रा के सलाहकार रहे है | संयुक्त राष्ट्रा औघोंगिक विकास संगठन समिति के संस्थापक सदस्यों में से एक के रुप मे जिसने जेनेटिक इंजीनियरिंग और जैव प्रौघोगिकी के लिए आंतर्राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा, वह तब से इसके वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के सदस्या है | उन्होंने एन आई एच अध्यायन अनुभाग के सदस्या के रुप मे अमेरिकी सरकार की सेवा की है | जो राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के जीव विज्ञान पर बोर्ड के सदस्या और राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद के जैव प्रौघोगिकी पर समिती है |


        उन्होंने स्वीडन के स्टॉकहोम पर्यावरण संस्थान में भी काम किया है | वे कई शैक्षणिक संस्थानों जैसे मिशिगन बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीटयूट मोंटाना स्टेट युनिवर्सिटी सेंटर फॉर बायोफिल्मा इंजिनियरिंग मिशिगन स्टैट युनिवर्सिटी मे सेंटर फॉर माइक्रोमेईन इकोलॉजी और कैलगरी, अर्ल्ब्ट स्थित कैनेडियन बैक्टिरियल डिजीज नेटवर्क के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड मे रहे है | डॉ.चक्रवर्ती ने बेल्जियम के ब्रुसेल्सा स्थित नाटो इंडस्ट्रियल एडवाइजरी ग्रूप के सदस्या के रुप मे भी काम कीया है | वह आइंस्टीन इंस्टीटयूट फॉर साइंस, हेल्था और कोर्टस के निदेशक मंडल के सदस्या है | जहाँ वह न्यायिक शिक्षा मे भाग लेते 

हे | 


कार्य :


        आनंद मोहन चक्रवर्ती एक भारतीय अमेरिकी माइक्रोबायोलॉजिस्टा, वैज्ञानिक और शोधकर्ता है | जो निर्देशित विकास मे अपने काम के लिए सबसे उल्लेखनीय है और जी ई पर काम करते समय प्लाजिमड ट्रॉसफर का उपयोग करके आनुवांशिक रुप से इंजीनियर जीव विकसित करने मे उनकी भूमिका है | जिसके लिए पेटेंट ने सुप्रिम कोर्ट के मामले को आगे बढाया |


        प्रोफेसर चक्रवर्ती आनुवंशिक रुप से इंजीनियर स्थुडोमोनास बैक्टिरिया की नई प्रजाति तेल से सना हुआ जिवाणू 1991 मे रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर फॉर जनरल मे काम करते हुए स्केनेक्टैडी, न्यूयॉर्क मे इलट्रिक कंपनी के साथ कार्य किया | उस समय तेल चायपचाय करने वाले बैक्टिरिया की चार ज्ञात प्रजातियाँ मौजूद थी, लेकीन जब तेल रिसाव मे पेश किया गया | तो उन्होंने एक दुसरे के साथ प्रतिस्पर्धा की, कच्चे तेल की मात्रा को समित कर दिया जिसे उन्होंने नीचा दिखाया तेल को नीचा करने के लिए आवश्याक जीन को प्लास्मिड पर ले जाया गया, जिसे प्रजातीयों मे स्थानांतरीत किया जा सकता है | प्लास्मिड ट्रांसफर के बाद युवी प्रकाश के साथ रुपांतरित जीव को विकिरणित करके , प्रोफेसर चक्रवर्ती ने आनूवंशिक फ्रॉस लिकिंग के लिए एक विधि की खोज की | 


        जिसने सभी चार प्लास्मिड जीन को जगह मे तय किया और एक नई, स्थिर जीवाणू प्रजाति अब स्थूडोमानस पुतिदा का उत्पादन किया जो तेल का उपयोग करने मे सक्षम है | तेल खाने वाले रोगाणुओं के पिछले चार उपभेदों की तुलना मे तेती के एक या दो क्रम | नया सुक्ष्मा जीव, जिसे चक्रवर्ती ने मल्टी प्लासमाइड हाइड्रोकार्बन डिग्रडिंग स्थूडोमोनस कहा वह दो तिहाई हाइड्रोकार्बन को पचा सकता है | जो एक विशिष्टा तेल रिसाव मे पाया जाएगा | प्रोफेसर चक्रवर्ती के ऐतिहासिक शोध के बाद से आनूवंशिक रुप से संशोधित सूक्ष्मा जीवों और अन्या जीवन रुपों पर कई पेटेंट का मार्ग प्रशस्ता हुआ, और उन्हें अंतराराष्ट्रीय स्तार पर पहचान मिली |


        वर्तमान मे उनकी प्रयोगशाला कैंसर प्रतिगमन मे बैक्टिरियल कप्रेडॉक्सिन और साइटोक्रोन की भूमिका केा स्पष्टा करने और सेल चक्र प्रगति को गिरुफतार करने पर काम कर रही है | ये प्रोटीन पूर्व मे जीवाणू इलेक्ट्रॉन परिवहन मे शामिल होने के लिए जाने जाते है | उन्होंने एक जीवाणूरोधी प्रोटीन, अजुरीन को अलग किया है , जिसमे संभावित एंटीनोप्लास्टिक गुण होते है | उन्होंने कई सूक्ष्माजीवविज्ञानी प्रजातियों को शामिल करने के लिए अपनी प्रयोगशाला के काम का विस्तार किया है | जिसमे नीसेरिया प्लास्मोडिया और एसिडिथयोबैसिलस फेरोक्सिडिड शामिल है | इलिनोइस विश्वाविदयालय पेटेंट के अधिकार का मालिक है | लेकिन स्पीडीजी थेराप्यूटिक्सा को अनन्या लाइसेंस जारी किए है |


        2008 मे प्रोफेसर चक्रवर्ती ने एक दूसरी बायोफार्मास्यूटिकल डिस्कवरी कंपनी, अमृता थैरेप्यूटिक्सा लिमिटेड की स्थापना कि जो अहमदाबाद गुजरात मे पंजीकृत है | जो क‍ि कैंसर और या अन्या प्रमूख सार्वजनिक स्वास्था खतरों के खिलाफ प्रभावी थेरेपी टीके और डायग्नोस्टीक विकसित करने के लिए बैक्टिीरिया के उत्पादों से प्राप्ता होती है | जैव प्रौघोगिकी उघोंग संवर्धन कार्यक्रम के तहत भारतीय जैव प्रौघोगिकी विभाग से 210 मे दो साल के अनुसंधान कार्यक्रम के लिए अनुदान प्राप्ता किया |


पूरस्कार और सम्मान :


1) जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीक मे उनके काम के लिए, उन्हें 2007 मे भारत सरकार व्दारा नागरिक पदमश्री से सम्मानित किया गया था |