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प्रेरणादायक

नेल्सन मंडेला जीवनी - Biography of Nelson Mandela in Hindi Jivani

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नाम : नेल्सन मंडेला।

जन्म : जुलै १८-१९१८।

मृत्यू : दिसंबर ०५-२०१३।

राष्ट्रीयत्व : साउथ आफ्रिका।


आरंभिक जीवन :


        मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के यहाँ हुआ था। वे अपनी माँ नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानों में 13 भाइयों में तीसरे थे। मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला।


        उनके पिता ने इन्हें 'रोलिह्लाला' प्रथम नाम दिया था जिसका खोज़ा में अर्थ "उपद्रवी" होता है। उनकी माता मेथोडिस्ट थी। मंडेला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की। उसके बाद की स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से ली। मंडेला जब 12 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी।


        मंडेला के तीन शादियाँ कीं जिन से उनकी छह संतानें हुई। उनके परिवार में 17 पोते-पोती थे। अक्टूबर 1944 को उन्होंने अपने मित्र व सहयोगी वॉल्टर सिसुलू की बहन इवलिन मेस से शादी की। 1961 में मंडेला पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया परन्तु उन्हें अदालत ने निर्दोष पाया। इसी मुकदमे के दौरान उनकी मुलाकात अपनी दूसरी पत्नी नोमजामो विनी मेडीकिजाला से हुई। 1998 में अपने 80वें जन्मदिन पर उन्होंने ग्रेस मेकल से विवाह किया।


        नेल्सन ने 1952 में कानूनी लङाई लङने के लिए एक कानूनी फर्म की स्थापना की। नेल्सन की बढती लोकप्रियता के कारण उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। वर्गभेद के आरोप में उन्हे जोहान्सबर्ग के बाहर भेज दिया गया। उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया कि वे किसी भी बैठक में भाग नही ले सकते। सरकार के दमन चक्र से बचने के लिए नेल्सन और ऑलिवर ने एक एम प्लान बनाया। एम का मतलब मंडेला से था। निर्णय लिया गया कि कांग्रेस को टुकङों में तोङकर काम किया जाए तथा परिस्थिती अनुसार भूमिगत रहकर काम किया जाए। प्रतिबंध के बावजूद नेल्सन क्लिपटाउन चले गये और वहाँ कांग्रेस के जलसों में भाग लेने लगे। उन्होने वहाँ उन सभी संगठनों के साथ काम किया जो अश्वेतों की स्वतंत्रता के लिये संघर्ष कर रहे थे।

        

        सरकार के दमन चक्र के कारण नेल्सन का जनाधार बढ रहा था। रंगभेद सरकार आंदोलन तोङने का हर संभव प्रयास कर रही थी। is बीच कुछ ऐसे कानून पास किये गये जो अश्वेतों के हित में नहीं थे। नेल्सन ने इन कानूनों का विरोध किया। विरोध प्रर्दशन के दौरान ही ‘शार्पविले’ शहर में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियों की बौछार कर दी। लगभग 180 लोग मारे गये। सरकार के इस क्रूर दमन चक्र से नेल्सन का अहिंसा पर से विश्वास उठ गया। अत्यचारों की पराकाष्ठा को देखते हुए एएनसी ने हथियार बंद लङाई लङने का फैसला लिया।


        एएनसी के लङाके दल का नाम ‘स्पियर ऑफ द नेशन’ रखा गया तथा नेल्सन को इसका अध्यक्ष बनाया गया। सरकार इस संगठन को खत्म करके नेल्सन को गिरफ्तार करना चाहती थी। जिससे बचने के लिए नेल्सन देश के बाहर चले गये और ‘अदीस अबाबा’ में अपने आधारभूत अधिकारों की मांग करने लगे। उसके बाद अल्जीरीया गये जहाँ गोरिल्ला तकनीक का प्रशिक्षण लिया । इसके बाद मंडेला लंदन चले गये जहाँ उनकी मुलाकात फिर से ‘ऑलिवर टॉम्बो’ से हुई। लंदन में विपक्षी दलों के साथ मिलकर उन्होने पूरी दुनिया को अपनी बात समझाने का प्रयास किया।


राजनैतिक जीवन :


        1943 में वो पहले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में शामिल हुए उसके बाद ANC यूथ लीग के संस्थापक बने थे | 1944 में उन्होंने एवलिस मेस नामक महिला से विवाह कर लिया और तीन संतानों का जन्म हुआ लेकिन 1957 में उनका तलाक हो गया था | इसके बाद Nelson Mandela ने वकालत पास की और अपने साथी ओलीवर टोम्बो के साथ जोहान्सबर्ग में वकालत करने लगे | उन दोनों ने मिलकर रंगभेद के खिलाफ आवाज उठायी थी | इसी कारण 1956 में उनके साथ 155 कार्यकर्ताओ पर मुकदमा लगाया गया जिसे चार साल बाद खत्म कर दिया गया |


        1958 में उन्होंने माडीकिजेला नामक महिला से दूसरा विवाह किया जिसने नेल्सन मंडेला को जेल से छुडवाने में अहम भूमिका अदा की थी | 1960 में ANC पर प्रतिबन्ध लग गया जिसके कारण नेल्सन मंडेला को भूमिगत होना पड़ा था | अब उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अभियान चलाया | इस कारण उन पर हिंसक कारवाई का आरोप लगाया गया और उन्हें बंदी बना लिया गया | अब उन्होंने स्वय के बचाव में प्रजातंत्र ,स्वतंत्रता और समानता के विषय में विचार व्यक्त किये | 1964 में उन्हें आजन्म कारावास की सजा सुनाई गयी |


        दक्षिण अफ्रीका के लोग मंडेला को व्यापक रूप से “राष्ट्रपिता” मानते थे. उन्हें “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक”,”राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था. 2004 में जोहनसबर्ग में स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी और सेंटर का नाम बदलकर नेल्सन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया. दक्षिण अफ्रीका में प्रायः उन्हें मदी बाकह कर बुलाया जाता है जो बुजुर्गों के लिये एक सम्मान-सूचक शब्द है.


        नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभाने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया। 67 साल तक मंडेला के इस आन्दोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घण्टों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने में दान देने का आग्रह किया गया. मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।


        5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी. सज़ा के लिये उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में भेजा गया किन्तु सजा से भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने जेल में भी अश्वेत कैदियों को लामबन्द करना शुरू कर दिया था। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी।


        1990 में श्वेत सरकार से हुए एक समझौते के बाद उन्होंने नये दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया। वे दक्षिण अफ्रीका एवं समूचे विश्व में रंगभेद का विरोध करने के प्रतीक बन गये। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने उनके जन्म दिन को नेल्सन मंडेला अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।1990 में भारत ने उन्हे देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया। मंडेला, भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी हैं।10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने।नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया।


 विचार :


• शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे आप दुनिया को बदल सकते है।

• मैं जातिवाद से बहुत नफरत करता हूँ, मुझे यह बर्बरता लगती है. फिर चाहे वह अश्वेत व्यक्ति से आ रही हो या श्वेत व्यक्ति से।

• विशेष रूप से जब आप जीत का जश्न मनाते हो और जब कभी अच्छी बातें होती है, तब आपको दूसरों को आगे रखकर पीछे से नेतृत्व करना चाहिए और जब भी खतरा हो आपको आगे की लाइन में आना चाहिये. तब लोग आपके नेतृत्व की सराहना करेंगे।

• मेरे देश में लोग पहले जेल जाते हैं और फिर राष्ट्रपति बन जाते हैं।

• अगर आप एक आदमी से उस भाषा में बात करते हैं जिसे वह समझता है, तो वह उसके दिमाग में जाती है. वही अगर आप उसकी अपनी भाषा में बात करते हैं तो वह उसके दिल में उतरती है।

• मैंने यही सीखा कि साहस डर का अभाव नहीं था, बल्कि इस पर विजय थी. बहादुर आदमी वह नहीं है जो डर को महसूस नहीं करता है, बल्कि वह है, जो उस डर को भी जीत ले.

• क्या कभी किसी ने सोचा है कि वे जो चाहता था वो उन्हें इसलिए नहीं मिला क्योंकि उनके पास प्रतिभा नहीं थी, शक्ति नहीं थी या धीरज नही था, प्रतिबद्धता नहीं थी ।

• भले ही आपको कोई बीमारी हो तो तब आप बैठकर मूर्ख की तरह उदास मत हो जाओ. जीवन का भरपूर आनंद लें और आपको जो बीमारी लगी है उसे चुनौती दें।

• लोगों को उनके मानव अधिकारों से वंचित रखना, उनकी असल मानवता को चुनौती देना है।

• छोटा काम करना या छोटी सोच वालो के साथरहने से कोई फायदा नहीं है। आप जिस तरह का जीवन व्यतीत कर सकते है , उससे कम स्तर की ज़िन्दगी जीना गलत है।

• हम बुद्धिमानी से समय का उपयोग करें और हमेशा पता होना चाहिए कि समय हमेशा सही काम करने के लिए तैयार है।

• बुद्धिमानी इसमें होगी कि लोगों को चीजें करने के लिए मनालें और उनको लगे कि ये उन्होंने अपने विचार से किया है।

• एक अच्छा नेता स्पष्ट रूप से और अच्छी तरह से एक बहस में शामिल होता है क्योंकि वो जानता है कि अंत में वह और दूसरा पक्ष करीब होंगे और इस तरह मजबूती से उभरता हैं। आपको ऐसा विचार नहीं आएगा जब तक आप अभिमानी, सतही और बेख़बर हैं।

• जब कभी अच्छी बातें होती है, विशेष रूप से जब आप जीत का जश्न मनाते हो, तब आपके लिए दूसरों को आगे रखकर पीछे से नेतृत्व करना बेहतर होगा। जब भी खतरा हो आपको आगे की लाईन में आना चाहिए। तब लोग आपके नेतृत्व की सराहना करेंगे।

• ऐसी कोई चीज नहीं है, जो स्वतंत्रता का हिस्सा बन सके।