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नंदूरी अचूत रामैया की जीवनी - Biography of Nanduri Achutha Ramaiya in hindi jivani

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एन ए रामैया का पूरा नाम नंदूरी अचूत रामैया है | एन.ए.रामैया एक भारतीय भौतिक रसायज्ञ, चीनी प्रौघोगिकीविद और राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपूर के निदेशक रहे है | रामैया गन्ने के रस के प्रसंस्कारण मे शामिल भौतिक रासायनिक प्रकियाओं पर अपने अध्यायन के लिए जाने जात है.

        नंदूरी अचूत रामैया का जन्म 26 अगस्त 1923 को भारत के आंध्रपदेश राजया मे हुआ था | उन्होंने बनारस हिंदू विश्वाविदयालय से मास्टार कि डिग्री प्रापता कि थी | आगे उन्होंने आपनी पीएचडी कि पढाई जारी रखी | इलेक्ट्रोड काम ओजोन टयूबों मे बिजली के निर्वहन के लिए इलेक्ट्रॉनो को ट्रिगर करने की उत्पात्ति पर उनकी थीसिस थी |


कार्य :

        रामैया ने शुरुआती दिनों मे आत्मा मेटर मे संकाय सदस्या के रुप मे कार्य किया था | फिर कुछ दिन बाद वे दिल्ली विश्वाविदयालय मे स्थानांतरति हुए थे | सन् 1956 मे भारत सरकार कि सेवा मे शामिल हुए थे | उन्होंने नेशनल शुगर इंस्टीटयूट कानपूर NSI के साथ सहयोगी के रुप मे कार्य किया है | वहॉ रमैया ने भौतिक रसायन विज्ञान के प्रोफेसर के रुप मे भी काम किया था | आगे जाकर वे संस्था के निदेशक बन गए थे | वे सन् 1981 तक अपनी सेवानिवृत्ती तक वहा रहे थे |

        सन् 1981 मे उन्हें दक्खन चीनी संस्थान मे निदेशक के रुप मे कार्य करने का अवसर प्राप्ता हुआ था | रमैया को चीनी प्रसंस्कारण पर भौतिक रासायनिक अध्यायन के लिए जाना जाता है | रमैया ने रंग मुल्यांकन के लिए और सक्रिय कार्बन के उत्पादन के लिए कई विश्लेषणात्माक तरीकों क विकास करने का कार्य किया है | जिसने उघोग क‍ि सल्फर पर निर्भरता कम करने मे मदद कि है | और इस कारण प्रसंस्कारण अधिक लागत प्रभावी हो गया था | उसके व्दारा विकसित प्रोटोकॉल उघोग मानक बन गए |

        रमैया ने अपने अध्यायन मे 23 डॉक्टरल डॉक्टरल छात्रों का उल्लेख किया है | और कई चीनी उघोग के पेशेवरों को प्रशिक्षित करने का काम किया है | सन 1981 से सन 1985 तक रमैया विश्वा शुगर अनुसंधान संगठन WSRO के निदेशक मंडल मे बैढे रहे थे | वे विभिन्ना देशो मे WSRO व्दाा किए गए प्रदर्श्ंन सुधार उपयागो मे सहभागी है रहे थे | रमैया ने आईसीआर समिती के अध्याक्ष के रुप मे भी कार्य किया है | उस समय उन्होंने गन्ने से इथेनॉल के निर्माण के लिए एक परियोजना रिपोर्ट तैयार किया था | जिसमे उन्होंने मोटर इंधन के रुप मे इथेनॉल के उपयोग का प्रस्ताव दिया था |


पूरस्कार/सम्मान :

1) रमैया को वैज्ञानिक और औघोगिक अनुसंधान परिषद ने 1966 मे शांति स्वरुप भटनागर पूरस्कार से सम्मानित किया था |

2) रमैया को STAI नोएल डियर गोल्ड मेडल प्रापता हुआ है |

3) सन 2005 मे रमैया को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला था |

4) रमैया सन 2005 के भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी और रॉयल इंस्टीटयूट ऑफ केमिस्ट्री के एक चुने हुए साथी रहे है |

5) रमैया ने वॉकस इंटरनेशनल के शहर चेप्टर के वॉकर क्लक विशाखापट्रटनम के अध्याक्ष के रुप मे कार्य किया है | 

6) रमैया इंडियन कैमिकल सोसायटी और शुगर टेक्नेालॉजिस्टा एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आजीवन सदस्या रहे है |

7) आंध्र प्रदेश मे पूर्वी गोदावरी जिले मे काकीनाडा मे एक सडक का नाम रमैया के नाम पर रखा गया है |


ग्रंथ :

1) रमैया ने 325 से अधिक लेखो के माध्याम से चीनी तकनीक पर बडे पैमाने पर लिखा है | उनमे से कई सहकर्मी समीक्षित पत्रिकाओं मे प्रकाशित हुए है | उनके लेख दुसरों व्दरा उद्रधृत किए गए है |

2) फिजिकल सोसाइटी कि कार्यवाही यह उनकी एक लो फिक्विंसी इलेक्ट्रोडलेस डिस्चार्ज मे माध्यामिक प्रक्रियाओ पर नोट 1953 मे प्रकाशित हुई 

3) कियेरिक स्टडीज ऑन इश्मिलाइजेशन ऑफ कामेग शुगर्स लेख 1968 को प्रकाशित हुआ था